menu-icon
India Daily

बांग्लादेश में सियासी भूचाल! NCP ने जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने का किया ऐलान, कई प्रमुख नेताओं ने छोड़ी पार्टी

बांग्लादेश की नई राजनीतिक पार्टी नेशनल सिटिजन्स पार्टी (एनसीपी) ने आने वाले आम चुनावों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. पार्टी ने जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने का औपचारिक ऐलान कर दिया है.

Anuj
Edited By: Anuj
बांग्लादेश में सियासी भूचाल! NCP ने जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने का किया ऐलान, कई प्रमुख नेताओं ने छोड़ी पार्टी

नई दिल्ली: बांग्लादेश की नई राजनीतिक पार्टी नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) ने आने वाले आम चुनावों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. पार्टी ने जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने का औपचारिक ऐलान कर दिया है. इस गठबंधन की घोषणा रविवार को जमात-ए-इस्लामी के अमीर शफीकुर रहमान ने की, जिसकी पुष्टि बांग्लादेश के कई मीडिया संस्थानों ने भी की है. हालांकि, एनसीपी का यह फैसला पार्टी के भीतर गंभीर विवाद और असंतोष का कारण बन गया है.

आंदोलन में निभाई अहम भूमिका

एनसीपी की स्थापना इसी साल की गई थी. यह पार्टी उन छात्र नेताओं द्वारा बनाई गई थी, जिन्होंने पिछले साल शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हुए बड़े आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी. एनसीपी खुद को एक नई सोच और नागरिक अधिकारों की पार्टी के रूप में पेश कर रही थी. ऐसे में एक इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन का फैसला पार्टी की मूल विचारधारा से टकराता हुआ माना जा रहा है.

प्रमुख नेताओं में नाराजगी

इस गठबंधन के ऐलान के बाद एनसीपी के कई प्रमुख नेता नाराज हो गए हैं. खास तौर पर पार्टी की महिला नेताओं में इस फैसले को लेकर गहरा असंतोष देखने को मिला है. विरोध के तौर पर कई नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा देना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में पार्टी की चर्चित नेता डॉ. तसनीम जारा ने एनसीपी छोड़ने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि वह अब पार्टी का हिस्सा नहीं रहेंगी और आगामी चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगी. डॉ. तसनीम जारा के इस्तीफे के बाद यह साफ हो गया कि पार्टी के भीतर मतभेद काफी गहरे हो चुके हैं.

170 से अधिक नेताओं ने किया समर्थन

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एनसीपी में इस मुद्दे पर दो साफ गुट बनते नजर आ रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी की केंद्रीय समिति के 30 नेताओं ने नाहिद इस्लाम को पत्र लिखकर जमात-ए-इस्लामी के साथ किसी भी तरह के चुनावी गठबंधन का विरोध किया है. वहीं एक अन्य  रिपोर्ट बताती है कि एनसीपी की केंद्रीय समिति के 170 से अधिक नेताओं ने इस गठबंधन के फैसले का समर्थन किया है.

इस्तीफों का सिलसिला जारी

इस्तीफों का सिलसिला यहीं नहीं रुका. रविवार को पार्टी की संयुक्त संयोजक ताजनुवा जबीन ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट कर कहा कि पार्टी की नीतियों और जमात के साथ गठबंधन की दिशा से वह बेहद निराश हैं. इससे पहले 25 दिसंबर को एनसीपी के वरिष्ठ नेता और जमात विरोधी गुट के प्रमुख मीर अर्शादुल हक भी पार्टी छोड़ चुके हैं.

एनसीपी के लिए बड़ा राजनीतिक संकट

पिछले एक सप्ताह में लगातार हो रहे इस्तीफों से यह साफ हो गया है कि जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन का फैसला एनसीपी के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट बन गया है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस अंदरूनी कलह से कैसे उबरती है और चुनावी राजनीति में खुद को कैसे संभाल पाती है.