नई दिल्ली: माली में अलकायदा से जुड़े संगठन JNIM के जरिए एक धीमी लेकिन खतरनाक तरीके से कब्जे की प्रक्रिया चल रही है जो अब पूरे देश को अपनी गिरफ्त में लेती दिख रही है. विशेषज्ञ इसे 'अनाकोंडा स्ट्रैटेजी' कह रहे हैं जिसमें आतंकियों ने बिना शोर किए राज्य तंत्र को धीरे-धीरे कमजोर कर दिया है. यह कब्जा अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी जैसा माना जा रहा है.
माली में JNIM अब न्याय व्यवस्था, टैक्स वसूली, नियम लागू करने और सुरक्षा गश्त जैसे काम कर रहा है और करीब 70 फीसदी क्षेत्र में उसकी समानांतर सत्ता चल रही है. माली कभी एक नाजुक लेकिन सक्रिय लोकतंत्र माना जाता था लेकिन अब स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि सिर्फ कुछ गारिसन टाउन ही सरकार के नियंत्रण में बचे हैं. बाकी इलाकों में या तो JNIM का सीधा शासन है या वह सरकार की छाया बनकर शासन कर रहा है.
दुनिया का ध्यान जहां यूक्रेन, गाजा और दक्षिण चीन सागर पर है, वहीं साहेल क्षेत्र में अलकायदा का यह सबसे बड़ा विस्तार देखा जा रहा है. साहेल उत्तरी मध्य अफ्रीका का वह इलाका है जिसमें माली, बुर्किना फासो, चाड, मौरितानिया और नाइजर जैसे देश आते हैं. यह क्षेत्र राजनीतिक अस्थिरता, जलवायु संकट और खाद्य असुरक्षा से जूझ रहा है.
अगर माली पूरी तरह जेहादियों के कब्जे में चला जाता है तो यह 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद पहला ऐसा मामला होगा जब अलकायदा से जुड़ा कोई संगठन किसी पूरे देश पर शासन करेगा. 2025 की शुरुआत तक 70 फीसदी से ज्यादा क्षेत्र या तो उनके कब्जे में था या संघर्षग्रस्त था. 2024 और 2025 के दौरान आतंकियों ने ईंधन सप्लाई रोककर और दक्षिणी रास्तों की नाकेबंदी कर सरकार पर दबाव बढ़ाया. अक्टूबर 2025 में अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों को तुरंत देश छोड़ने की सलाह दी क्योंकि हाईवे पर हमलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी. नवंबर में पांच भारतीयों के अपहरण ने हालात को और गंभीर कर दिया.
माली की यह स्थिति पड़ोसी देशों को भी हिला रही है. विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि एक “क्रॉस बॉर्डर जेहादी अमीरात” की संभावना अब पहले से कहीं ज्यादा है. मानवीय संकट भी बढ़ता जा रहा है. करीब 20 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं. राहत संगठनों का कहना है कि माली 'धीमी गति से तालिबानीकरण' की प्रक्रिया में फंस चुका है. राजधानी बमाको में सेना अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रही है लेकिन असल नियंत्रण तेजी से खत्म हो रहा है.
अगर JNIM पूरा नियंत्रण हासिल कर लेता है तो माली अलकायदा का सबसे स्थिर ठिकाना बन सकता है. यह विशाल भूभाग, सोने के भंडार और तस्करी के रास्तों से जुड़ा क्षेत्र है जिसे स्थानीय गठबंधनों और डर के सहारे चलाया जा सकता है. एनालिस्ट्स का अंदाजा है कि माली का भविष्य अफगानिस्तान की तरह पूरी सरकारी गिरावट वाला भी हो सकता है या सोमालिया की तरह जहां राजधानी एक घिरे हुए किले की तरह रह जाए.