जान की बाजी लगाकर मेडल लेने वेनेजुएला से नॉर्वे पहुंचीं महिला, सीक्रेट ऑपरेशन के तहत माचाडो ने लिया नोबेल पुरस्कार
वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना माचाडो लंबे वक्त के बाद देश से बाहर निकली हैं. वह नोबेल पुरस्कार लेने के लिए नॉर्वे पहुंची. मारिया इस पुरस्कार को लेने के लिए अपने अज्ञातवास से बाहर आई.
नई दिल्ली: पिछले कई सालों से वेनेजुएला में राजनीति की मुखर आवाज मारिया कोरीना माचाडो को माना जा रहा है. विपक्ष की नेता मारिया कोरीना माचाडो नॉर्वे अपना नोबेल पुरस्कार लेने पहुंची. इस घटना के बाद वेनेजुएला के नागरिक बेहद चकित थे क्योंकि मारिया पिछले लगभग एक सालों से जनता की नजरों से दूर अज्ञातवास में थी, तो ऐसे में उनका नॉर्वे पहुंचना सबके लिए चौकाने वाला था.
हालांकि भले ही मारिया नॉर्वे पहुंची लेकिन वह स्वयं अपना नोबेल पुरस्कार स्वीकार न कर सकीं. उनकी जगह उनकी बेटी ने यह पुरस्कार स्वीकार किया और सबका आभार व्यक्त किया. लेकिन माचाडो का नॉर्वे तक पहुंचना जनता के लिए पहेली बनी हुई है. तो आईए जानते हैं कैसे नॉर्वे पहुंची मारिया-
मारिया की बेटी ने लिया पुरस्कार
मारिया कोरीना माचाडो को 11 दिसंबर को नॉर्वे में पुरस्कार मिलने वाला था जिसके लिए वह नॉर्वे पहुंचे लेकिन उसके बाद भी वह पुरस्कार स्वयं न ले सकी. दरअसल उन्होंने पहुंचने में देरी हो गई थी. जिस कारण उनकी जगह उनकी बेटी एना कोरीना ने वह पुरस्कार लिया.
सीक्रेट ऑपरेशन के तहत नॉर्वे पहुंची माचाडो
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विपक्षी नेता मारिया कोरीन माचाडो पिछले एक सालों से सबकी नजरों से दूर थी. ऐसे में उन्होंने देश से निकालना किसी बड़े मिशन से कम नहीं था.
बता दें उन्हें देश से बाहर निकालने के लिए अमेरिका ने एक सीक्रेट और जोखिम भरा ऑपरेशन चलाया था, जो करीब 16 घंटे तक चलता रहा.
एक साल छिपकर रह रही थी माचाडो
माचाडो वेनेजुएला की राजनीति में लोकतंत्र की मुखर आवाज मानी जाती हैं. लेकिन उसके बाद भी वह लगभग एक साल से छिपकर रह रही थीं. दरअसल ऐसा इसलिए क्योंकि, राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार पर विपक्षी नेताओं को गिरफ्तारी कराने और उन्हें डराने का आरोप है. साथ ही ऐसा भी कहा जा रहा है कि माचाडो को भी इससे खतरा है. इसी वजह से वह देश से बाहर नहीं निकल पा रही थीं.