किंग चार्ल्स का बड़ा फैसला, प्रिंस एंड्रयू से छीने सभी शाही खिताब; जानें क्या है वजह
किंग चार्ल्स ने जेफ्री एपस्टीन से जुड़े मामले में विवादों के चलते प्रिंस एंड्रयू के सभी शाही खिताब और सम्मान छीन लिए हैं. अब एंड्रयू केवल 'एंड्रयू माउंटबेटन विंडसर' के नाम से जाने जाएंगे. उन्हें रॉयल लॉज से हटाकर निजी आवास में भेजा जाएगा.
नई दिल्ली: ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू से किंग चार्ल्स ने उनके सभी शाही खिताबों और सम्मानों से वंचित कर दिया है. यह कार्रवाई जेफ्री एपस्टीन से जुड़े विवादास्पद मामले में एंड्रयू के कथित संबंधों के चलते की गई है. बकिंघम पैलेस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अब प्रिंस एंड्रयू को केवल 'एंड्रयू माउंटबेटन विंडसर' के नाम से जाना जाएगा.
बयान में बताया गया कि किंग चार्ल्स ने उनके 'शैली, उपाधियां और सम्मान' को औपचारिक रूप से समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस फैसले के बाद एंड्रयू अब किसी भी आधिकारिक शाही उपाधि के साथ नहीं जाने जाएंगे. 65 वर्षीय एंड्रयू, क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय और प्रिंस फिलिप के तीसरे संतान और दूसरे बेटे हैं.
क्यों छीन ली गईं ये शाही उपाधियां?
प्रिंस एंड्रयू लंबे समय से जेफ्री एपस्टीन से अपने संबंधों को लेकर विवादों में रहे हैं. पहले भी उन पर गंभीर सवाल उठे थे और उन्हें कई सार्वजनिक जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया था. इस महीने की शुरुआत में ही उनसे 'ड्यूक ऑफ यॉर्क' की उपाधि भी छीन ली गई थी. अब उन्हें औपचारिक रूप से सभी शाही पहचान और अधिकारों से अलग कर दिया गया है.
बकिंघम पैलेस की तरफ से क्या कहा गया?
बकिंघम पैलेस के बयान के अनुसार, एंड्रयू का रॉयल लॉज पर लीज अब तक उन्हें वहां रहने की कानूनी अनुमति देती थी, लेकिन अब उस लीज को समाप्त करने की औपचारिक सूचना जारी कर दी गई है. उन्हें अब किसी निजी आवास में स्थानांतरित किया जाएगा. बयान में कहा गया, 'यह कदम आवश्यक समझा गया है, भले ही एंड्रयू इन आरोपों से लगातार इनकार करते रहे हैं.'
महामहिम ने क्या कहा?
बयान में आगे कहा गया है, 'महामहिम ने यह भी कहा कि वे सभी पीड़ितों और बचे हुए लोगों के साथ अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं. उन्होंने कहा कि शाही परिवार किसी भी प्रकार के दुरुपयोग के खिलाफ है और पीड़ितों के साथ खड़ा रहेगा. यह फैसला ब्रिटिश शाही परिवार के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है. इससे यह संदेश गया है कि अब शाही परिवार की गरिमा और प्रतिष्ठा को किसी भी विवाद से ऊपर रखा जाएगा.
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