ढाका: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और तीन बार इस पद पर आसीन रह चुकीं बेगम खालिदा जिया का लंबी बीमारी के बाद 30 दिसंबर 2025 को निधन हो गया. वे 80 वर्ष की थीं. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की आजीवन चेयरपर्सन खालिदा जिया का अंतिम संस्कार 31 दिसंबर को राजकीय सम्मान के साथ किया गया. उनकी नमाज-ए-जनाजा ढाका के मानिक मिया एवेन्यू और संसद भवन के दक्षिणी प्लाजा पर अदा की गई, जहां लाखों लोगों की भीड़ उमड़ी.
खालिदा जिया का पार्थिव शरीर पहले उनके गुलशन स्थित निवास 'फिरोजा' ले जाया गया, जहां परिवारजन और निकट संबंधियों ने अंतिम दर्शन किए. उनके बड़े बेटे और बीएनपी के एक्टिंग चेयरमैन तारिक रहमान परिवार के सदस्यों और पार्टी नेताओं के साथ मौजूद रहे. इसके बाद जनाजे की नमाज में बांग्लादेश के आम जनता ने भारी संख्या में शिरकत की. अंत में उन्हें उनके पति पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की कब्र के पास शेर-ए-बांग्ला नगर में सुपुर्द-ए-खाक किया गया.
इस राजकीय अंतिम संस्कार में कई विदेशी गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए. भारत की ओर से विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शिरकत की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश तारिक रहमान को सौंपा. पाकिस्तान की ओर से नेशनल असेंबली के स्पीकर सरदार अयाज सादिक, नेपाल के विदेश मंत्री और भूटान के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे. अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने भी जनाजे में भाग लिया और तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की.
खालिदा जिया का जन्म 1945 में हुआ था. उनके पति जियाउर रहमान की 1981 में हत्या के बाद वे राजनीति में सक्रिय हुईं और बीएनपी की कमान संभाली. उन्होंने 1991-1996 और 2001-2006 तक दो पूर्ण कार्यकाल प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व किया. उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी शेख हसीना के साथ लंबे समय तक चली टक्कर को 'बैटलिंग बेगम्स' के नाम से जाना जाता है. दोनों ने मिलकर बांग्लादेश की आधुनिक राजनीति को आकार दिया.
हाल के वर्षों में खालिदा जिया स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं. उन्हें लीवर सिरोसिस, हृदय रोग, मधुमेह और फेफड़ों की संक्रमण जैसी गंभीर बीमारियां थीं. नवंबर 2025 में उन्हें एवरकेयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 30 दिसंबर को सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली.
उनके निधन पर विश्व भर से श्रद्धांजलि संदेश आए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा. अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस ने उन्हें लोकतंत्र की प्रतीक बताया. पाकिस्तान और चीन सहित कई देशों ने भी गहरा शोक व्यक्त किया.