ट्रंप के टैरिफ अटैक के बीच जल्द होगा भारत-अमेरिका व्यापार समझौता, डेलिगेशन के यूएस दौरे के बाद केंद्र का बयान

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में अमेरिका गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वॉशिंगटन में कई अहम बैठकें कीं हैं. दोनों देशों ने एक परस्पर लाभकारी व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की सहमति जताई है.

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Kuldeep Sharma

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय आयातों पर लगाए गए टैरिफ और नई वीजा फीस जैसी चुनौतियों के बीच भारत और अमेरिका एक संतुलित व्यापार समझौते की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

22 से 24 सितंबर के बीच अमेरिका यात्रा पर गए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने उच्च अधिकारियों और कारोबारी प्रतिनिधियों से मुलाकात कर न सिर्फ विवादित मुद्दों पर चर्चा की, बल्कि निवेश और व्यापार के नए रास्ते खोलने का भरोसा भी दिलाया.

सकारात्मक माहौल में हुई चर्चा

सरकारी बयान के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच हुई वार्ताओं का माहौल रचनात्मक और सकारात्मक रहा. दोनों पक्षों ने संभावित व्यापार समझौते की रूपरेखा पर विचार किया और इस पर जल्द ठोस नतीजे तक पहुंचने की इच्छा जताई. अमेरिकी अधिकारियों ने इस दिशा में सहयोग का भरोसा दिया, वहीं भारतीय पक्ष ने स्पष्ट किया कि यह समझौता दोनों देशों के लिए समान रूप से लाभकारी होना चाहिए.

अमेरिकी निवेशकों का भारत पर भरोसा

भारतीय प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात अमेरिका की बड़ी कंपनियों और निवेशकों से भी हुई. इन कारोबारी नेताओं ने भारत की विकासगाथा पर भरोसा जताते हुए अपने निवेश को और गहरा करने की इच्छा प्रकट की. सरकार ने कहा कि अमेरिकी उद्योग जगत ने भारत में कारोबार बढ़ाने के लिए ठोस इच्छाशक्ति दिखाई है, जिससे आने वाले समय में रोजगार और पूंजी निवेश के नए अवसर बन सकते हैं.

टैरिफ विवाद के बीच हो रही बैठक

यह बैठकें उस समय हो रही हैं जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव अपने चरम पर है. अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय आयातों पर टैरिफ बढ़ाने के साथ-साथ वीजा याचिकाओं पर 100,000 डॉलर की फीस और ब्रांडेड व पेटेंट दवाओं पर 100% शुल्क लगा दिया है. इन नीतियों का असर भारतीय निर्यातकों और आईटी उद्योग पर पड़ रहा है. भारत ने साफ किया है कि इन चुनौतियों के समाधान के बिना दीर्घकालिक साझेदारी मुश्किल होगी.

रिश्तों में नई ऊर्जा की उम्मीद

भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक सहयोग की संभावना अपार है. भारत निवेश और तकनीक के लिए अमेरिका को एक अहम भागीदार मानता है, जबकि अमेरिका के लिए भारत तेजी से बढ़ता हुआ बाजार है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह व्यापार समझौता जल्द होता है तो दोनों देशों के बीच न सिर्फ व्यापारिक बल्कि सामरिक रिश्ते भी मजबूत होंगे. साथ ही यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है.