India US military exercise: भारत और अमेरिका के बीच भले ही टैरिफ तनाव और राजनीतिक मतभेद उभरकर सामने आए हों, लेकिन दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी अब भी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है. अलास्का में शुरू हुआ अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास इसका साफ उदाहरण है. वहीं, क्वाड देशों के बीच गुआम में होने वाले मालाबार नौसैनिक अभ्यास की तैयारियां भी इस साझेदारी को और मजबूती प्रदान करती हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ ने रिश्तों में खटास जरूर डाली है, लेकिन बीते दो दशकों में बने भरोसे और रक्षा सहयोग की नींव इतनी मजबूत है कि फिलहाल साझेदारी टूटने का कोई खतरा नहीं है. हालांकि, भू-राजनीतिक हलचलों के बीच भविष्य के रक्षा सौदों पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.
रक्षा अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा हालात शुरुआती झटके हैं, लेकिन रणनीतिक साझेदारी का आधार मजबूत है. अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी द्वारा 99 GE-F404 टर्बोफैन इंजनों की डिलीवरी दो साल की देरी के बाद शुरू हो रही है. इसके अलावा, भारत 1 अरब डॉलर में 113 और इंजनों का सौदा करने की तैयारी में है. इसी तरह, 2029-30 तक 31 MQ-9B 'प्रीडेटर' ड्रोन मिलने तय हैं, जिनकी डील पिछले साल 3.8 अरब डॉलर में हुई थी.
अमेरिका ने 2007 से अब तक भारत से 25 अरब डॉलर से अधिक के रक्षा सौदे हासिल किए हैं. लेकिन अगर टैरिफ और कूटनीतिक मतभेद गहराए तो भविष्य के सौदों पर असर पड़ सकता है. भारत अपनी "रणनीतिक स्वायत्तता" को बनाए रखते हुए चीन के साथ संपर्क तेज कर रहा है और रूस के साथ पुराने रक्षा संबंधों पर भी कायम है.
अलास्का के फोर्ट वेनराइट में हो रहा यह युद्धाभ्यास बेहद चुनौतीपूर्ण है. इसमें मद्रास रेजिमेंट के 450 से अधिक सैनिक और अमेरिका के 11वें एयरबोर्न डिवीजन की 5वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट 'बॉबकैट्स' हिस्सा ले रहे हैं. यह अभ्यास 14 सितंबर तक चलेगा.
इसके समानांतर, भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान गुआम के पास मालाबार नौसैनिक अभ्यास के 29वें संस्करण के लिए तैयारियां कर रहे हैं. यह अभ्यास 1992 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय प्रयास के रूप में शुरू हुआ था और आज क्वाड देशों की एकजुटता का प्रतीक बन गया है.