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India Daily
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UN में भारत ने चीन पर साधा निशाना, बोला- सबूतों के बावजूद आतंकियों को ब्लैक लिस्ट में न डालना दोहरा रवैया

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन और पाकिस्तान को घेरते हुए भारत ने कहा कि बिना कारण बताए आतंकवादियों को काली सूची में डालने के साक्ष्य-आधारित प्रस्तावों को रोकना अनुचित है.

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Gyanendra Tiwari
UN में भारत ने चीन पर साधा निशाना, बोला- सबूतों के बावजूद आतंकियों को ब्लैक लिस्ट में न डालना दोहरा रवैया

नई दिल्ली. सबूत के बावजूद आतंकवादियों को ब्लैक लिस्ट में ना डाले जाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र परिषद में भारत ने पक्ष रखते हुए चीन पर निशाना साधा है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन और पाकिस्तान को घेरते हुए भारत ने कहा कि बिना कारण बताए आतंकवादियों को काली सूची (Black List) में डालने के साक्ष्य-आधारित प्रस्तावों को रोकना अनुचित है. चीन पर निशाना साधते हुए भारत ने कहा कि यह उसका दोहरा रवैया है.

यूएन में भारत की राजदूत
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को बोलते हुए कहा, "यूएनएससी प्रतिबंध समितियों की कार्यप्रणाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा रही हैं."

उन्होंने आगे कहा- "वैश्विक स्तर पर स्वीकृत आतंकवादियों के लिए वास्तविक, साक्ष्य-आधारित सूची प्रस्तावों को बिना कोई उचित कारण बताए अवरुद्ध किया जाना अनुचित है.  UNSC प्रतिबंध समितियों की कार्यप्रणाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) की विश्वसनीयता को लगातार नुकसान पहुंचाने का काम कर रही हैं.

अंडगा लगाता रहा है चीन
चीन हमेशा अंडगा लगाता रहता है. वह पाकिस्तान के कहने पर आतंकियों को ब्लैक लिस्ट में डालने पर कई बार रोक लगा चुका है. जून में चीन ने अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी साजिद मीर को काली सूची में डालने से इनकार कर दिया था.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा-  यदि देश वास्तव में परिषद को अधिक जवाबदेह और अधिक विश्वसनीय बनाने में रुचि रखते हैं, तो हम उनसे खुलकर सामने आने और संयुक्त राष्ट्र में एकमात्र स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से समयबद्ध तरीके से इस सुधार को प्राप्त करने के लिए एक स्पष्ट मार्ग का समर्थन करने का आह्वान करते हैं, जो यह पाठ के आधार पर बातचीत में शामिल होने से है, न कि एक-दूसरे पर बोलने या एक-दूसरे को अतीत बताने के माध्यम से, जैसा कि हमने पिछले तीन दशकों से किया है.

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