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India Daily

कांच की बोतलों में प्लास्टिक की बोतलों से अधिक माइक्रोप्लास्टिक, वैज्ञानिक शोध से हिली दुनिया

शोध में पाया गया कि शीशे की बोतलों में सॉफ्ट ड्रिंक, नींबू पानी, आइस्ड टी और बीयर में प्रति लीटर औसतन 100 माइक्रोप्लास्टिक कण थे, जो प्लास्टिक बोतलों या धातु के डिब्बों की तुलना में 5 से 50 गुना अधिक है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Glass bottles contain more microplastics than plastic bottles study reveals

एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि शीशे की बोतलों में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा प्लास्टिक की बोतलों या धातु के डिब्बों की तुलना में अधिक है. माइक्रोप्लास्टिक, जो छोटे और लगभग अदृश्य प्लास्टिक कण होते हैं, हवा, भोजन और मानव शरीर में हर जगह पाए गए हैं. हालांकि, इनके मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं है, लेकिन शोधकर्ता इसके प्रसार को मापने में जुटे हैं.

शीशे की बोतलें में मिले ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक

फ्रांस की खाद्य सुरक्षा एजेंसी ANSES के शोध निदेशक गुइलोम डुफ्लोस ने एएफपी को बताया, “हमारी टीम ने फ्रांस में बिकने वाले विभिन्न पेय पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा और विभिन्न कंटेनरों के प्रभाव की जांच की.” शोध में पाया गया कि शीशे की बोतलों में सॉफ्ट ड्रिंक, नींबू पानी, आइस्ड टी और बीयर में प्रति लीटर औसतन 100 माइक्रोप्लास्टिक कण थे, जो प्लास्टिक बोतलों या धातु के डिब्बों की तुलना में 5 से 50 गुना अधिक है.

शोधकर्ता बोले- हमें उल्टा परिणाम मिलने की उम्मीद थी

शोधकर्ता इसलीन चैब ने एएफपी को बताया, “हमें उल्टा परिणाम मिलने की उम्मीद थी.” उन्होंने कहा, “हमने देखा कि शीशे की बोतलों में नमूनों से निकलने वाले कणों का आकार, रंग और पॉलिमर संरचना वही थी, जो बोतलों को सील करने वाली ढक्कनों पर लगे पेंट की थी.” ANSES ने बताया कि ढक्कनों पर लगे पेंट में “नन्हे खरोंच, जो नग्न आंखों से दिखाई नहीं देते, संभवतः भंडारण के दौरान ढक्कनों के आपसी घर्षण के कारण थे.” इससे कण ढक्कनों की सतह पर फैल गए.

पानी और वाइन में कम माइक्रोप्लास्टिक

पानी (सादा और स्पार्कलिंग) में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा कम थी, जो शीशे की बोतलों में 4.5 कण प्रति लीटर और प्लास्टिक में 1.6 कण थी. वाइन में भी माइक्रोप्लास्टिक कम था. डुफ्लोस ने कहा, “इस अंतर का कारण अभी स्पष्ट होना बाकी है.” 

समाधान की दिशा में कदम

ANSES ने सुझाव दिया कि ढक्कनों को हवा, पानी और अल्कोहल से साफ करने की तकनीक से माइक्रोप्लास्टिक संदूषण को 60% तक कम किया जा सकता है. यह अध्ययन पिछले महीने जर्नल ऑफ फूड कंपोजिशन एंड एनालिसिस में प्रकाशित हुआ.