Israel Hamas War: दुनिया तकनीक के सहारे आगे बढ़ रही है. इसमें आर्टफिशियल इंटेलीजेंस यानी AI मानव जीवन के विकास का सबसे बड़ा साथी बनता जा रहा है. बीते हफ्ते खबरें मिली कि इजरायल गाजा में हमास के खिलाफ हबसोरा नाम की AI तकनीक का प्रयोग कर रहा है. इस तकनीक का इस्तेमाल बमबारी, निशाना चुनने, हमास के चरमपंथियों के ठिकानों का पता लगाने में हो रहा है. इस तकनीक के सहारे पहले से ही मृतकों की संभावित संख्या का अनुमान लगाने के लिए भी किया गया है.
इसे देखते हुए कई मीडिया रिपोर्टें पब्लिश हुई. इनमें कहा गया कि मानव सहायता के लिए विकसित हुई AI तकनीक उसके विनाश का कारण बन सकती हैं. इन तकनीकों का जंग में इस्तेमाल गहरे राजनीतिक, सामाजिक अध्यायों को परिलक्षित कर रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सेनाएं अपने सैनिकों की सुरक्षा और उनके प्रभाव को बढ़ाने के लिए इस तरह की प्रणालियों का उपयोग करती हैं. एआई तकनीक सैनिकों को अधिक कुशल बना सकती है और इससे युद्ध की गति और मारकता बढ़ने की आशंका है. एआई का युद्ध के सभी स्तरों पर प्रभाव पड़ रहा है. खुफिया निगरानी और टोही गतिविधियों से लेकर घातक हथियार प्रणालियों में इसका उपयोग हो रहा है. इजरायली डिफेंस फोर्स की हबसोरा प्रणाली भी इसी तरह काम कर रही है.
एआई तकनीक के सबसे महत्वपूर्ण प्रयोगों में जो हमें देखने को मिल रहे हैं उनमें है युद्ध की तीव्रता में अतिशय वृद्धि. AI के इस्तेमाल से बड़ी मात्रा में निशाना बनाए जाने वाले डेटा को एकत्रित किया जा सकता है. आईडीएफ के पूर्व प्रमुख ने कहा है कि गाजा में हर साल बमबारी के जरिए जहां पहले 50 स्थानों को टारगेट किया जा सकता था वहीं हबसोरा तकनीक के जरिए यह एक दिन में 100 लक्ष्य तक संभव हो गया है. इजरायली हबसोरा तकनीक एक दिन मशीन लर्निंग के एल्गोरिद्म पर काम करती है.
मशीन लर्निंग एल्गोरिदम डेटा के माध्यम से सीखते हैं. इससे युद्ध में सैनिकों के लिए जोखिम कम हो जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, एआई से मिली किसी जानकारी के गलत होने पर इसके विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं. इन्हें इस्तेमाल करने के लिए अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है.