ट्रंप-मोदी के साथ मिलकर बनाएंगे नया सुपरक्लब! जानें G7 की किन पाबंदियों से होगा मुक्त, भारत-अमेरिका के साथ होंगे कौन से 3 देश?

ट्रंप प्रशासन एक नए C5 समूह के गठन पर विचार कर रहा है जिसमें अमेरिका, रूस, चीन, भारत और जापान शामिल हो सकते हैं. यह समूह G7 जैसे पारंपरिक मंचों से अलग होगा.

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Km Jaya

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक नए अंतरराष्ट्रीय शक्तिशाली समूह के गठन पर विचार कर रहे हैं, जिसे C5 या कोर फाइव कहा जा रहा है. यह संभावित समूह अमेरिका, रूस, चीन, भारत और जापान जैसे विश्व की पांच बड़ी शक्तियों को एक मंच पर लाने की योजना का हिस्सा बताया जा रहा है. माना जा रहा है कि यह विचार मौजूदा यूरोप केंद्रित G7 व्यवस्था को पीछे छोड़कर एक नया ढांचा खड़ा करने की दिशा में हो सकता है. 

हालांकि व्हाइट हाउस ने इस तरह के किसी गुप्त दस्तावेज या लंबी रणनीति के होने से इनकार किया है, लेकिन अमेरिकी मीडिया में इससे जुड़े संकेत लगातार सामने आ रहे हैं. अमेरिकी प्रकाशन पॉलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार यह आइडिया व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की एक लंबी और अप्रकाशित प्रति में सामने आया था. 

कहां से मिली ये जानकारी?

इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है पर रक्षा मामलों पर आधारित एक पोर्टल ने इसी तरह की जानकारी साझा की थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नए समूह का उद्देश्य ऐसा मंच बनाना है जिसे G7 की तरह अमीर और लोकतांत्रिक होने की शर्तों में सीमित न किया जाए. इसमें उन देशों को साथ लाने का प्रस्ताव है जिनके पास बड़ी आबादी, मजबूत सैन्य क्षमता और व्यापक आर्थिक प्रभाव है.

रिपोर्ट में क्या आया सामने?

रिपोर्ट के मुताबिक C5 समूह का पहला एजेंडा पश्चिम एशिया की सुरक्षा और विशेष रूप से इजरायल और सऊदी अरब के बीच संबंधों को सामान्य करने की दिशा में चर्चा करना हो सकता है. रणनीतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि यह आइडिया पूरी तरह ट्रंप की शैली से मेल खाता है क्योंकि वे विश्व व्यवस्था को विचारधारा आधारित नजरिये से नहीं बल्कि ताकतवर नेतृत्व और क्षेत्रीय प्रभाव वाले देशों के आधार पर देखते हैं.

अमेरिकी अधिकारियों का क्या है मानना?

अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि यह प्रस्ताव यूरोप को हाशिये पर रखने वाला हो सकता है क्योंकि इसमें न तो कोई यूरोपीय देश शामिल है और न ही पश्चिमी लोकतांत्रिक एकता को प्राथमिकता दी गई है. अगर यह मॉडल लागू होता है तो रूस को यूरोप के मुकाबले एक बड़ी शक्ति के रूप में मान्यता मिलेगी. इससे नाटो देशों में चिंता बढ़ सकती है.

माइकल सोबोलिक ने क्या कहा?

पहले ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन के दौरान US रिपब्लिकन सीनेटर टेड क्रूज के सहयोगी माइकल सोबोलिक ने कहा कि यह प्रस्ताव ट्रंप के पहले कार्यकाल की चीन नीति से बिल्कुल अलग दिशा में जाता है. उस समय अमेरिका ने चीन को सीधे प्रतिस्पर्धी के रूप में माना था लेकिन C5 के जरिए चीन को अमेरिका और रूस के साथ बराबर की भूमिका दी जा सकती है. 

यह ऐसे समय सामने आया है जब पहले से ही अमेरिकी विदेश नीति को लेकर वैश्विक स्तर पर असमंजस है और सहयोगी देश ट्रंप प्रशासन के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं.