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India Daily

'दूसरों के साथ वैसा मत करो जैसा तुम...', दोस्त 'पाकिस्तान' के लिए धमकी पर उतर आया चीन, ब्रह्मपुत्र नदी पर दिया ये बयान

भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे को लेकर बढ़ते तनाव के बीच चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर एक सनसनीखेज बयान देकर स्थिति को और जटिल कर दिया है.

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Edited By: Garima Singh
India-China clash on Brahmaputra river
Courtesy: x

India-China clash on Brahmaputra river: भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे को लेकर बढ़ते तनाव के बीच चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर एक सनसनीखेज दिया है. बीजिंग स्थित सेंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन के उपाध्यक्ष विक्टर झिकाई गाओ ने भारत को कड़ी चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि, "दूसरों के साथ वैसा मत करो जैसा तुम नहीं चाहते कि तुम्हारे साथ हो."

22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित कर दिया. यह संधि सिंधु बेसिन की छह नदियों के जल उपयोग और वितरण को नियंत्रित करती है. भारत के इस कदम को दंडात्मक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जिसने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया है. इस बीच, चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के संकेत दिए हैं, जो भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है. 

ब्रह्मपुत्र पर चीन की चुप्पी

आरटीआई जांच में खुलासा हुआ कि 2022 से बीजिंग ने ब्रह्मपुत्र जैसी सीमापार नदियों पर हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करना बंद कर दिया है.  पहले के समझौता ज्ञापनों (एमओयू) की समाप्ति और नवीनीकरण न होने से भारत महत्वपूर्ण अपस्ट्रीम प्रवाह डेटा से वंचित हो गया है. यह डेटा ब्लैकआउट तिब्बत में चीनी मेगा-बांध परियोजनाओं की तेजी के साथ हुआ है, जिससे भारत, विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में, पारिस्थितिक और आर्थिक जोखिमों का सामना कर रहा हैं. 

ब्रह्मपुत्र: भारत की जल सुरक्षा का आधार

ब्रह्मपुत्र नदी भारत के मीठे पानी के भंडार का लगभग एक-तिहाई हिस्सा और 40% से अधिक बिजली क्षमता का स्रोत है. कैलाश पर्वत के पास से निकलने वाली यह नदी चीन, भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है. अपस्ट्रीम डेटा की कमी से भारत को बाढ़ प्रबंधन और जल संसाधन नियोजन में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. 

चीन का मेगा-बांध और भू-राजनीतिक खेल

6 जनवरी, 2025 को चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र पर दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बनाने की योजना की पुष्टि की. 137 बिलियन रुपये की इस परियोजना को बीजिंग ने "कठोर वैज्ञानिक मूल्यांकन" के आधार पर सुरक्षित बताया है, लेकिन भारत की पूर्वोत्तर सीमा के निकट इसकी स्थिति भू-राजनीतिक चिंताओं को बढ़ाती है. विक्टर गाओ ने साक्षात्कार में तीन बार चेतावनी दोहराई कि भारत को, एक मध्यम धारा वाले देश के रूप में, जवाबी कदमों से "कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है".

पाकिस्तान के लिए रणनीतिक लाभ

रणनीतिक दृष्टिकोण से, पाकिस्तान इस बांध परियोजना को अपने लिए लाभकारी मानता है. यह न केवल चीन के साथ उसके गठबंधन को मजबूत करता है, बल्कि भारत के क्षेत्रीय प्रभाव को कम करने का भी एक हथियार बन सकता है. ब्रह्मपुत्र पर चीन की बढ़ती पकड़ भारत के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत करती है.