China Military Parade: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 3 सितंबर को बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर पर भव्य सैन्य परेड आयोजित किया है. यह केवल सैनिक ताकत का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि इसमें ऐतिहासिक, भू-राजनीतिक और राष्ट्रीय गौरव का गहरा संदेश छिपा था. इस परेड का आयोजन द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ पर किया गया.
जापान का आत्मसमर्पण-3 सितंबर 1945 को जापान ने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया. चीन इसे 'विक्ट्री ओवर जापान डे' के रूप में मनाता है. युद्ध के बाद 1972 में जापान और चीन ने कूटनीतिक संबंध स्थापित किए, लेकिन ऐतिहासिक कटुता और क्षेत्रीय विवाद आज भी मौजूद हैं.
परेड में हजारों सैनिक, टैंक, मिसाइल, 100+ लड़ाकू विमान, हाइपरसोनिक मिसाइलें और मानवरहित ड्रोन शामिल थे. इसका उद्देश्य न केवल चीन की सैन्य शक्ति दिखाना था, बल्कि शी जिनपिंग के नेतृत्व में वैश्विक प्रभाव और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा देना भी था. शी ने इस आयोजन के जरिए जापान के खिलाफ ऐतिहासिक नैरेटिव को मजबूत किया और दिखाया कि चीन किसी भी बाहरी चुनौती का सामना कर सकता है.
परेड में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन और ईरान के राष्ट्रपति सहित 26 देशों के नेता शामिल हुए. पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका और ताइवान के लिए यह परेड चेतावनी स्वरूप है. जापान ने इस परेड को जापान-विरोधी भावनाओं को भड़काने के प्रयास के रूप में देखा.
शी जिनपिंग ने इतिहास का सहारा लेकर राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति मजबूत करने की कोशिश की. आर्थिक सुस्ती और घरेलू चुनौतियों के बीच यह परेड पार्टी के समर्थन को बढ़ाने और ताइवान पर बीजिंग के दावों को वैध ठहराने का भी अवसर थी.
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लिए यह परेड संदेश देती है कि चीन किसी भी बाहरी चुनौती का मुकाबला कर सकता है. इसके साथ ही यह इतिहास को राष्ट्रीय गौरव और वैश्विक स्थिति को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल करने की रणनीति का हिस्सा है.