अमेरिका और फ्रांस भी नहीं कर सके जो काम, चीन ने कर दिखाया ये कारनामा, बना रहा दुनिया का पहला आर्टिफिशियल फ्लोटिंग आइलैंड
चीन दुनिया का पहला कृत्रिम तैरता हुआ द्वीप बना रहा है जो परमाणु हमलों और कैटेगिरी 17 तूफानों को सहन कर सकेगा. यह द्वीप 238 लोगों को चार महीने तक सप्लाई के बिना सहारा देगा.
चीन एक ऐसा 78,000 टन का कृत्रिम तैरता हुआ द्वीप बना रहा है जो परमाणु विस्फोटों और कैटेगिरी 17 के सबसे शक्तिशाली तूफानों को भी झेल सकेगा.
यह द्वीप 2028 तक ऑपरेशनल होने की योजना में है. 138 मीटर लंबा और 85 मीटर चौड़ा यह द्वीप 238 लोगों को चार महीने तक बिना नई सप्लाई के रहन-सहन की सुविधा देगा. इसे गहरी समुद्री वैज्ञानिक रिसर्च और लंबी अवधि के रहने के लिए डिजाइन किया गया है.
द्वीप की भौतिक संरचना और क्षमता
चीन का यह द्वीप मोबाइल, सेमी-सबमर्सिबल और ट्विन-हुल्ल प्लेटफॉर्म होगा. इसका मुख्य डेक पानी की सतह से 45 मीटर ऊंचा होगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह 6-9 मीटर की ऊंची लहरों और कैटेगिरी 17 के तूफानों को झेल सकता है. इसके लिए अत्याधुनिक मेटामटेरियल सैंडविच पैनल्स का उपयोग किया गया है जो बड़े झटकों को धीरे-धीरे फैलाते हैं. इस डिजाइन से द्वीप को परमाणु विस्फोटों के प्रतिकूल प्रभावों से सुरक्षा मिलती है.
लंबी अवधि और स्वावलंबी रहने की सुविधा
द्वीप 238 लोगों के लिए चार महीने तक बिना किसी नई सप्लाई के रहने के लिए तैयार किया जा रहा है. इसमें जीवन रक्षक सुविधाएं, पानी और भोजन की पर्याप्त मात्रा रखी जाएगी. इसके सुपर-स्ट्रक्चर में आपातकालीन पावर, कम्युनिकेशन और नेविगेशन कंट्रोल के लिए सुरक्षित कमरों का निर्माण किया गया है. यह सभी मौसमों और कठिन परिस्थितियों में लंबे समय तक कार्य करने में सक्षम होगा.
वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण
शंघाई जियाओ टोंग यूनिवर्सिटी की टीम ने बताया कि यह डिवाइस गहरी समुद्री अनुसंधान और बहु-विधायिक प्रयोगों के लिए डिजाइन किया गया है. परियोजना के प्रमुख अकादमिक लिन झोंगचिन ने कहा कि निर्माण और डिजाइन को 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य है. यह दुनिया का पहला 'फार-सी तैरता हुआ मोबाइल द्वीप' है, जिसे दस वर्षों के अध्ययन और शोध के बाद विकसित किया जा रहा है.
सुरक्षा मानक और परमाणु प्रतिरोध
हालांकि इसे सिविलियाई वैज्ञानिक रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर कहा गया है, इसका डिजाइन GJB 1060.1-1991 नामक सैन्य परमाणु प्रतिरोध मानक पर आधारित है. इसका मतलब है कि यह worst-case परमाणु हमलों का सामना करने में सक्षम होगा. इसके डिजाइन में सभी सुरक्षा प्रावधानों और आपातकालीन नियंत्रण कमरों का विशेष ध्यान रखा गया है.
भविष्य की तैयारी और वैश्विक महत्व
2028 में ऑपरेशनल होने पर यह द्वीप वैज्ञानिक अनुसंधान, अंतरराष्ट्रीय समुद्री प्रयोग और परमाणु आपातकालीन तैयारी के लिए नई दिशा देगा. चीन की यह पहल न केवल तकनीकी क्षमता बल्कि वैश्विक रणनीतिक महत्व भी रखती है. इसके मोबाइल होने के कारण इसे आवश्यकतानुसार विभिन्न समुद्री क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जा सकेगा.
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