बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्मद युनुस लगातार पाकिस्तान के लिए नरमी पेशा रहे है. ऐसे में अंतरिम सरकार ने इसी कड़ी में पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा नियमों में ढील दी है. दरअसल, बांग्लादेश सरकार ने पाकिस्तान के नागरिकों के लिए वीजा आवेदन से पहले सुरक्षा मंजूरी की शर्त को हटा दिया है. यह कदम बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ते रिश्तों और बदलती कूटनीतिक स्थिति को दर्शाता है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में, भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव और सुरक्षा उपायों के तहत पाकिस्तान के नागरिकों के लिए यह मंजूरी अनिवार्य की गई थी, लेकिन अब इसे हटा लिया गया है. जहां 2 दिसंबर को बांग्लादेश के गृह मंत्रालय की सुरक्षा सेवाओं विभाग द्वारा जारी एक घोषणा में पाकिस्तान के नागरिकों के लिए सुरक्षा मंजूरी की शर्त को समाप्त कर दिया गया.
बांग्लादेश-पाकिस्तान संबंधों में आए बदलाव
यह बदलाव बांग्लादेश के कूटनीतिक नजरिए में महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत है. यह कदम पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में एक नई शुरुआत का प्रतीक बन सकता है, खासकर तब जब पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद मरूफ ने 3 दिसंबर को ढाका में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की नेता ख़ालिदा ज़िया से मुलाकात की. ये पॉलिसी ऐसे समय में आई है जब बांग्लादेश ने नवंबर में कराची से चिटगांव तक मालवाहन जहाजों की आवाजाही की अनुमति दी थी, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच एक नए तरह के रिश्ते की ओर इशारा करता है.
बता दें कि, खालिदा ज़िया की पार्टी, BNP, पाकिस्तान के साथ ऐतिहासिक रूप से करीबी संबंध रखती है, जबकि शेख हसीना की आवामी लीग ने भारत के प्रति अधिक सकारात्मक रुख अपनाया है.
बांग्लादेश की नई कूटनीतिक दिशा
इस मामले पर ऑस्ट्रेलिया स्थित सिडनी पॉलिसी एंड एनालिसिस सेंटर के कार्यकारी निदेशक मुबाशर हसन ने कहा, "यह बदलाव बांग्लादेश के द्वारा एक संतुलन साधने की कोशिश का प्रतीक है. बांग्लादेश लगातार यह बता रहा है कि वह भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते चाहता है, हालांकि भारत इस रुख का जवाब नहीं दे रहा. पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सामान्य करना बांग्लादेश प्रशासन का संदेश है कि अब वह दक्षिण एशिया की राजनीति को भारतीय दृष्टिकोण से नहीं देखेगा.
उन्होंने आगे कहा, "हालांकि, यह देखना बाकी है कि बांग्लादेश का यह कदम दीर्घकाल में कितना सफल रहेगा, क्योंकि पश्चिम, खासतौर से अमेरिका, दक्षिण एशिया की राजनीति को भारतीय दृष्टिकोण से देखता है.
भारत के लिए बढ़ीं सुरक्षा चिंताएं
यह सुरक्षा मंजूरी का हटना खासतौर पर उत्तर-पूर्वी भारत में भारत के लिए गंभीर सुरक्षा का सवाल उठाता है. बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता और बांग्लादेश में चरमपंथी समूहों की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर, यह आशंका जताई जा रही है कि बांग्लादेश का नया कूटनीतिक नजरिया क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है.