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India Daily

बांग्लादेश में चुनाव की तारीख का हुआ ऐलान, क्या बड़े गेमचेंजर साबित होंगे हिंदू वोटर्स?

भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में 13वें संसदीय चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त नसीरुद्दीन ने चुनाव की तारीख की घोषणा की है.

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Edited By: Anuj
 Bangladesh election dates announced

नई दिल्ली: भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में 13वें संसदीय चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त नसीरुद्दीन ने चुनाव की तारीख की घोषणा की है. 12 फरवरी 2026 को एक साथ सभी 300 सीटों पर वोटिंग होगी.

चुनाव की तारीख का ऐलान

बांग्लादेश में अगले साल एक बड़ा राजनीतिक बदलाव होने वाला है, क्योंकि देश में 13वें संसदीय चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी गई है. मुख्य चुनाव आयुक्त नसीरुद्दीन ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए बताया कि चुनाव 12 फरवरी 2026 को होंगे. उसी दिन जनमत संग्रह भी होना है, इसलिए वोटिंग का समय बढ़ाकर सुबह 7:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक किया गया है. यह चुनाव इसलिए भी खास माना जा रहा है, क्योंकि यह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद पहला आम चुनाव होगा.

'हर नागरिक को सतर्क रहना होगा'

अपने संबोधन में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि बांग्लादेश दुनिया को यह दिखाने के लिए पूरी तरह तैयार है कि वह स्वतंत्र, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक चुनाव करा सकता है. उन्होंने लोगों को आगाह किया कि चुनाव से पहले फर्जी खबरें और अफवाहें बड़ी चुनौती बन सकती हैं, इसलिए हर नागरिक को सतर्क रहना होगा. 300 सीटों के लिए चुनाव होंगे और विदेश में रहने वाले बांग्लादेशी नागरिक 25 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.

20 सीटों पर हिंदू मतदाताओं का प्रभाव

बांग्लादेश संसद में कुल 300 सीटें होती हैं, जिनमें से लगभग 20 सीटों पर हिंदू मतदाताओं का प्रभाव माना जाता है. सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 151 सीटें चाहिए. जनगणना 2022 के हिसाब से बांग्लादेश में हिंदू आबादी करीब 1.31 करोड़ है, जो देश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक वर्ग है.  विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार हिंदू मतदाताओं का झुकाव जमात-ए-इस्लामी की ओर हो सकता है.

गेमचेंजर साबित होंगे हिंदू वोटर्स

रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू समुदाय को लगता है कि अगर जमात सत्ता में आती है, तो उनकी सुरक्षा की स्थिति बेहतर हो सकती है. ऐसे में माना जा रहा है कि हिंदू वोटर्स इस बार चुनाव के नतीजों में अहम रोल निभा सकते हैं और बड़े गेमचेंजर साबित हो सकते हैं.

किन पार्टियों में सीधी टक्कर

2026 का यह चुनाव इसलिए भी अलग है, क्योंकि 2024 में हुए तख्तापलट के बाद देश की राजनीति पूरी तरह बदल चुकी है. अब मुकाबला एनसीपी, जमात-ए-इस्लामी और बीएनपी के बीच माना जा रहा है. शेख हसीना की आवामी लीग के ऐसे नेता, जिन पर कोई गंभीर आरोप नहीं है, वे चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन पार्टी के सिंबल पर नहीं. वे या तो निर्दलीय के रूप में या किसी दूसरी पार्टी के टिकट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं.