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India Daily

केले के लिए 582 रुपये, बर्गर 2100 रुपये? इस्तांबुल एयरपोर्ट पर खाने की कीमतें कर देंगी पागल

इस्तांबुल हवाई अड्डे पर खाने-पीने की चीजें बहुत महंगी हैं, जैसे कि एक केले का टुकड़ा 582 रुपये और बिग मैक हैमबर्गर 2,086 रुपये में बिकता है.

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Edited By: Anvi Shukla
istanbul airport
Courtesy: social media

Istanbul Airport: इस्तांबुल हवाई अड्डा, जिसे अब दुनिया का सबसे महंगा हवाई अड्डा माना जा रहा है, ने एक केले के टुकड़े को लगभग 7 डॉलर यानी करीब 582 रुपये में बेचना शुरू कर दिया है. यह हवाई अड्डा अपनी महंगी कीमतों के लिए ख्याति प्राप्त कर चुका है, खासकर खाने-पीने की वस्तुओं के लिए. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस्तांबुल हवाई अड्डे पर यात्रियों को लगभग 20 डॉलर (1,698 रुपये) का एक बियर खरीदने के लिए खर्च करना पड़ता है, जबकि वही बियर शहर में केवल 1.70 डॉलर (145 रुपये) में मिलती है.

इस्तांबुल हवाई अड्डे पर खाने-पीने की वस्तुएं इतनी महंगी हैं कि यात्रियों को यकीन करना मुश्किल हो जाता है. एक बिग मैक हैमबर्गर 24 डॉलर (2,086 रुपये) में बिकता है, जबकि एक साधारण सा लसग्ना 27.78 डॉलर (2,376 रुपये) में मिलता है. वहीं, एक क्रोसांट की कीमत 16.44 डॉलर (1,406 रुपये) से लेकर 19.84 डॉलर (1,697 रुपये) तक हो सकती है.

L’Economia के लेखक ने किया खुलासा

लेनार्ड बेर्बेरी, जो एक इतालवी न्यूज वेबसाइट L’Economia के लेखक हैं, उन्होंने इन अत्यधिक महंगे सामानों को इस्तांबुल हवाई अड्डे पर देखा और विश्वास नहीं कर सके. उन्होंने लसग्ना को 'ईंट का टुकड़ा' बताया, जिसमें 'कद्दूकस किया हुआ पनीर और एक नकली तुलसी का पत्ता था.'

भारतीय हवाई अड्डों पर महंगे खाने-पीने की चीजें

हालांकि इस्तांबुल हवाई अड्डा इस समय महंगे खाने के लिए चर्चा में है, लेकिन यह कोई नई बात नहीं है. भारत के कई प्रमुख हवाई अड्डों पर भी खाने-पीने की वस्तुओं के दाम ऊंचे हैं. दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक बोतल पानी की कीमत 100 रुपये या उससे ज्यादा हो सकती है. वहीं, एक KFC का भोजन आमतौर पर शहर में मिलने वाले मूल्य से 2.5 गुना महंगा होता है. 

एक साधारण समोसा या ब्रेड पकोड़ा 150 रुपये से अधिक का होता है, जबकि एक पिंट बियर की कीमत 450 रुपये से ऊपर जाती है. इन महंगी कीमतों के पीछे का कारण हवाई अड्डे की संचालन और रखरखाव लागत बताई जाती है.

महंगे खाने का कारण

उच्च कीमतों के लिए हवाई अड्डे पर ऑपरेशनल और रखरखाव की लागत को जिम्मेदार ठहराया जाता है. इन कीमतों को बढ़ाने का कारण व्यापारिक जरूरतें और विशेषाधिकार की स्थिति भी हो सकती है, जिससे ये सामान महंगे होते हैं.