इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते युद्ध के बीच पाकिस्तान ने अपनी चिंता जाहिर की है. खबरों के अनुसार, इस्लामाबाद को डर है कि ईरान की अस्थिरता का फायदा उठाकर पाक-ईरान सीमा पर सक्रिय आतंकी संगठन सक्रिय हो सकते हैं. 900 किमी लंबी इस सीमा पर ईरान और पाकिस्तान विरोधी संगठन काम करते हैं.
असीम मुनीर ने ट्रंप के सामने उठाया मुद्दा
बुधवार को पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात में मुनीर ने इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि पाक-ईरान सीमा पर अलगाववादी और जिहादी तत्व इजरायल-ईरान संघर्ष का लाभ उठा सकते हैं. ट्रम्प ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "वे (Pakistan) किसी भी चीज से खुश नहीं हैं."
जैश अल-अदल का बयान
पाकिस्तान से संचालित ईरानी जिहादी संगठन जैश अल-अदल (JaA), जो बलूच और सुन्नी अल्पसंख्यकों से बना है, ने इस युद्ध को "बड़ा अवसर" बताया. संगठन ने 13 जून को बयान जारी कर कहा, "जैश अल-अदल ईरान के सभी लोगों, विशेषकर बलूचिस्तान के लोगों और सशस्त्र बलों से प्रतिरोध में शामिल होने की अपील करता है."
बलूच उग्रवाद का बढ़ता जोखिम
पाकिस्तान को अपने बलूच अल्पसंख्यक उग्रवादियों से भी खतरा है, जो ईरान में सक्रिय हैं. इस्लामाबाद की विश्लेषक सिंबल खान ने कहा, "यदि स्थिति बिगड़ती है, तो विभिन्न बलूच समूह एक 'ग्रेटर बलूचिस्तान' आंदोलन में बदल सकते हैं." पूर्व राजदूत मलीहा लोधी ने रॉयटर्स से कहा, "अनियंत्रित क्षेत्र आतंकी समूहों के लिए उपजाऊ जमीन बन सकते हैं."
क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा, "हमारे भाई देश ईरान में जो हो रहा है, वह हमारे लिए गंभीर मुद्दा है. यह पूरे क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे को खतरे में डालता है और हमें गहराई से प्रभावित करता है." पाकिस्तान ने ईरान पर इजरायल के हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है.