कैलिफोर्निया अमेरिका में रहने वाले भारतीय-अमेरिकी कारोबारी और खालिस्तान विरोधी विचारों के लिए जाने जाने वाले सुखी चहल की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है. यह घटना न केवल उनके परिवार और करीबियों के लिए सदमे का कारण बनी है, बल्कि इसने कई गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं. सुखी चहल खालिस्तानी गतिविधियों के खिलाफ अपनी बेबाक राय और सक्रियता के लिए पहचाने जाते थे. उनकी अचानक मौत, खासकर वाशिंगटन डीसी में 17 अगस्त 2025 को प्रस्तावित खालिस्तान जनमत संग्रह से ठीक पहले संदेहों को और गहरा रही है.
सुखी चहल के करीबी दोस्त जसपाल सिंह ने बताया कि गुरुवार को सुखी को एक परिचित ने अपने घर रात के खाने पर आमंत्रित किया था. खाना खाने के कुछ ही समय बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई. जसपाल सिंह के अनुसार, सुखी पूरी तरह स्वस्थ थे और उन्हें कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं थी. इस अचानक और रहस्यमयी मौत ने उनके परिजनों, दोस्तों और समुदाय में शोक के साथ-साथ कई सवाल पैदा किए हैं.
खालिस्तान विरोधी थे सुखी चहल
सुखी चहल खालसा टुडे के संस्थापक और अध्यक्ष थे, जो एक ऐसा मंच है जो सिख समुदाय के बीच एकता और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है. वे न केवल एक सफल व्यवसायी थे, बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी सक्रिय थे. सुखी ने सिलिकॉन वैली की कई कंपनियों में वरिष्ठ प्रबंधन और सलाहकार के रूप में काम किया था और 2015 से कैलिफोर्निया की गैर-लाभकारी संस्था पंजाब फाउंडेशन के अध्यक्ष थे जो गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए काम करती है.
सुखी खालिस्तानी विचारधारा और गतिविधियों के खिलाफ खुलकर बोलते थे. उनके करीबी बूटा सिंह कलेर ने बताया कि सुखी को खालिस्तान समर्थकों से लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं, लेकिन वे अपने विचारों पर अडिग रहे और निडरता से अपनी बात रखते थे. उनकी यह बेबाकी खालिस्तान समर्थकों के लिए चुनौती बन गई थी, और माना जाता है कि उन्होंने अमेरिका में खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियों को बेनकाब करने में अहम भूमिका निभाई थी.