पाकिस्तान के लिए आतंकवाद बना 'भस्मासुर', बलूचिस्तान में आंतकियों ने 9 पाकिस्तानी सैनिकों को उतारा मौत के घाट

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के वाशुक ज़िले में आतंकियों ने पुलिस स्टेशन और सीमा बल के ठिकाने पर हमला कर नौ पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी. सुरक्षा बलों के जवाबी कदम के दौरान यह हमला हुआ, जिसमें भारी नुकसान की खबर है.

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Kuldeep Sharma

आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान पर दोहरी मार पड़ रही है. वक्त ये आ गया है कि अब खुद पाकिस्तान आतंकवाद की चपेट में आ गया है. आए दिन पाकिस्तान की आर्मी पर आतंकी हमलने हो रहे हैं.

ताजा खबर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के वाशुक ज़िले की है, जहां मंगलवार को हुए एक भीषण आतंकी हमले में नौ पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई. हमलावरों ने पहले पुलिस स्टेशन और फिर सीमा बल के एक कैंप को निशाना बनाया. इस हमले ने एक बार फिर क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

स्थानीय प्रशासन के अनुसार मंगलवार सुबह वाशुक ज़िले में दर्जनों हथियारबंद आतंकियों ने अचानक एक पुलिस स्टेशन पर हमला बोल दिया. हमलावर आधुनिक हथियारों से लैस थे और उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे इलाके में अफरातफरी मच गई. पुलिस ने मोर्चा लेने की कोशिश की, लेकिन हमलावरों की संख्या और हथियारों के सामने वह कमजोर पड़ गई.

सीमा बल कैंप पर हमला

पुलिस पर हमले के कुछ ही समय बाद आतंकियों ने बॉर्डर फोर्स के कैंप को भी निशाना बनाया. इस बार भी हमलावरों ने तेज़ गोलीबारी की और सुरक्षा बलों को जवाबी कार्रवाई का मौका तक नहीं दिया. सूत्रों के अनुसार, हमला बेहद सुनियोजित था और हमलावर लंबे समय से इस इलाके में सक्रिय थे.

सैनिकों की शहादत और सेना की प्रतिक्रिया

वाशुक ज़िले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब सेना के जवान मौके पर पहुंचने के लिए रवाना हुए, तभी आतंकियों ने उन पर घात लगाकर हमला कर दिया. इस हमले में 9 सैनिक मौके पर ही शहीद हो गए. अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि सेना ने तुरंत इलाके में ऑपरेशन शुरू किया और हमलावरों की तलाश तेज़ कर दी है.

बलूचिस्तान में बढ़ती हिंसा

बलूचिस्तान लंबे समय से अलगाववादी और आतंकी गतिविधियों का केंद्र रहा है. यहां सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच अक्सर मुठभेड़ होती रहती है. हाल के महीनों में हमलों की संख्या बढ़ी है, जिससे आम जनता में दहशत का माहौल है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सुरक्षा ढांचे में सुधार नहीं किया गया, तो इस तरह की घटनाएं और बढ़ सकती हैं.