CP Radhakrishnan: एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और तमिलनाडु के वरिष्ठ नेता सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है. यह घोषणा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नई दिल्ली में आयोजित संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद की. राधाकृष्णन की उम्मीदवारी को एनडीए का एक सुनियोजित और रणनीतिक कदम माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य न केवल विपक्षी एकता को चुनौती देना है, बल्कि दक्षिण भारत में भाजपा की राजनीतिक पैठ को और मजबूत करना भी है.
पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों के दौरान विपक्षी दलों के बीच एकजुटता की कमी देखी गई है. विभिन्न मुद्दों और रणनीतिक मतभेदों के चलते विपक्षी खेमे में फूट पड़ती रही है. इस बार राधाकृष्णन की उम्मीदवारी ने विपक्ष, विशेष रूप से द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले राधाकृष्णन की उम्मीदवारी डीएमके के लिए एक दुविधा का विषय बन सकती है, क्योंकि यह क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीति के बीच संतुलन का सवाल उठाती है.
राधाकृष्णन एक अनुभवी नेता
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक जीवन अनुभव और विश्वसनीयता से भरा रहा है. तमिलनाडु में भाजपा के प्रमुख चेहरों में से एक रहे राधाकृष्णन ने विभिन्न भूमिकाओं में अपनी क्षमता साबित की है. यूपीए ने राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा पाटिल को उम्मीदवार बनाया था और इस पर महाराष्ट्र की होने के नाते शिवसेना ने एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया था.
विपक्ष के लिए दुविधा
एनडीए ने रामनाथ कोविंद को जब राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था तब जेडीयू ने समर्थन किया था. जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया तब तृणमल कांग्रेस ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. एनडीए के 422 वोट हैं जबकि पिछली बार धनखड़ को 528 वोट मिले थे. इस बार भी कई पार्टियां एनडीए का समर्थन दे सकती है.
दक्षिण भारत में भाजपा की बढ़ती महत्वाकांक्षा
राधाकृष्णन की उम्मीदवारी को दक्षिण भारत में भाजपा की बढ़ती महत्वाकांक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है. तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों में भाजपा लंबे समय से अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है. राधाकृष्णन जैसे स्थानीय और सम्मानित चेहरे को आगे लाकर पार्टी क्षेत्रीय भावनाओं को साधने और अपने समर्थन आधार को विस्तार देने की कोशिश कर रही है. यह कदम दक्षिण भारत में डीएमके और अन्य क्षेत्रीय दलों के लिए एक मजबूत संदेश है कि भाजपा अब इस क्षेत्र में और अधिक सक्रियता से अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगी.