रूस और यूक्रेन की जंग में पश्चिमी देश बुरी तरह उलझ गए हैं. ज्यादातर पश्चिमी देश, यूरोपियन यूनियन और अमेरिका एक सुर में यूक्रेन के साथ हैं, वहीं रूस अकेला है. रूस पर दुनियाभर से तमाम प्रतिबंध थोपे जा रहे हैं. वैश्विक राजनीति में रूस को अछूत की तरह देखा जा रहा है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरा भी दुनिया को रास नहीं आया है. अमेरिका को उम्मीद है कि भारत, यूक्रेन और रूस की लड़ाई रोक सकता है.
ऐसा हम नहीं कह रहे, अमेरिका के गृह विभाग की प्रवक्ता मार्गरेट मैकलियोड ने कहा है कि अमेरिका चाहता है कि अपने खास रणनीतिक दोस्ती के चलते भारत रूस पर दबाव बनाए, जिससे यूक्रेन की जंग थम जाए. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस चर्चित बयान का जिक्र भी किया, 'यह युद्ध का युग नहीं है.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्लादिमीर पुतिन के साथ बाली में SCO समिट 2022 के दौरान ये बात कही थी.
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में मार्गरेट मैकलियोड ने कहा, 'अमेरिका अपने भागीदारों और भारत से अपील कर रहा है कि यूक्रेन में शांति के लिए सहयोग करें. रूस को यूक्रेन से बाहर जाना चाहिए. यह युद्ध का युग नहीं है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यह कहा है. भारत और रूस का रिश्ता खास है. हम चाहते हैं कि रूस के साथ दोस्ती का इस्तेमाल भारत करे. रूस का यूक्रेन से युद्ध संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन है.'
मार्गरेट मैकलियोड से जब यह सवाल किया गया कि अमेरिका यूक्रेन पर भारत के रूख को कैसे देखता है तो उन्होंने जवाब दिया, 'यह बेहतर होगा कि आप भारत से सवाल करें कि उसका रुख क्या है.'
इंटरनेशनल लॉ के स्कॉलर रहे डॉ. दीपक कुमार बताते हैं कि भारत और रूस के संबंध घनिष्ठ रहे हैं. दोनों देश, कठिन परिस्थितियों में एक-दूसरे के साथ मजबूती से खड़े रहे हैं. जब दुनिया रूस पर प्रतिबंध लगा रही है, ऐसे वक्त में भारत रूस से रक्षा डील करता है, पेट्रोलियम की खरीद करता है. भारत ने साफ कह दिया है कि हम संप्रभु राष्ट्र हैं, अपने हितों पर व्यापार करेंगे. हमारी रणनीति, दुनिया नहीं तय करेगी. भारत का रुख साफ है कि वह अपने पुराने दोस्त को दगा नहीं देगा. वैश्विक आलोचनाओं के बाद भी प्रधानमंत्री का मॉस्को दौरा, इस ओर इशारा भी करता है.