क्या कांग्रेस खेलेगी रोजगार पर सियासत का नया दांव? मनरेगा के मुद्दे को रखना चाहती है एक्टिव, CWC की बैठक में आज करेगी मंथन

कांग्रेस मनरेगा की जगह लाए गए नए कानून के खिलाफ राजनीतिक अभियान तेज करना चाहती है. CWC की बैठक में रोजगार और आजीविका को चुनावी मुद्दा बनाने पर मंथन हो सकता है.

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Km Jaya

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी मनरेगा के मुद्दे को राजनीतिक तौर पर जिंदा रखने की रणनीति पर काम कर रही है. इसी को लेकर आज नई दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अहम बैठक होने जा रही है. यूपीए सरकार के दौर की मनरेगा योजना की जगह VB-G RAM G Act 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है.

इसके बाद कांग्रेस इस नए कानून के खिलाफ देशव्यापी राजनीतिक अभियान तेज करना चाहती है. कांग्रेस के लिए मनरेगा केवल एक योजना नहीं बल्कि उसकी नीतिगत पहचान और राजनीतिक विरासत रही है. पार्टी लंबे समय से इसे ग्रामीण रोजगार और आजीविका से जोड़कर पेश करती रही है.

कांग्रेस का क्या है प्लान?

कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि नया कानून ग्रामीण गरीबों, दलितों, ओबीसी और वंचित वर्गों को प्रभावित करेगा. इसी वजह से पार्टी इसे एक बड़े जन मुद्दे के रूप में सामने लाना चाहती है. 2024 लोकसभा चुनावों में सीमित वापसी के बाद कांग्रेस ने सामाजिक न्याय को अपना मुख्य नैरेटिव बनाया है. हालांकि संस्थानों पर कब्जे और वोट चोरी जैसे मुद्दों को अपेक्षित जन समर्थन नहीं मिला.

अब पार्टी सीधे रोजगार, मजदूरी और ग्रामीण आजीविका पर फोकस करने की तैयारी में है. कांग्रेस का आकलन है कि ग्रामीण रोजगार से जुड़ा हमला भाजपा के लिए चुनावी रूप से नुकसानदेह हो सकता है.

क्या कांग्रेस को मिलेगा इसका लाभ?

यह रणनीति ऐसे समय सामने आ रही है जब पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस मानती है कि ग्रामीण रोजगार का मुद्दा विपक्ष को एक मंच पर ला सकता है. नया कानून राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी डालता है. इससे INDIA गठबंधन को फिर से सक्रिय करने का मौका मिल सकता है.

तृणमूल कांग्रेस का इसमें क्या है रोल?

तृणमूल कांग्रेस को भी इस रणनीति में अहम सहयोगी माना जा रहा है. पश्चिम बंगाल में टीएमसी सरकार पहले ही अपने ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम कर्मश्री को महात्मा गांधी के नाम से जोड़ चुकी है. पिछले एक सप्ताह में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता देशभर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुके हैं. पार्टी सूत्रों के अनुसार 19 से 22 दिसंबर के बीच 50 से अधिक प्रेस वार्ताएं हुईं.

सोनिया गांधी ने क्या कहा था?

20 दिसंबर को सोनिया गांधी ने वीडियो संदेश जारी कर मनरेगा पर सरकार के हमले का मुकाबला करने की बात कही थी. हालांकि कांग्रेस के सामने चुनौती यह है कि उसके पास मजबूत जमीनी कैडर की कमी है. पिछले आंदोलनों में भी पार्टी लंबे समय तक दबाव नहीं बना पाई थी. इसके बावजूद कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर सरकार पर लगातार दबाव बनाने की उम्मीद कर रही है.