भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का शनिवार (28 दिसंबर) को दिल्ली के निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं. उनके परिवार के सदस्य भी इस समारोह में शामिल हुए, जिनमें उनकी पत्नी गुरशरण कौर और उनकी तीन बेटियाँ उपिंदर, दमन और अमृत शामिल थीं. उनकी पत्नी गुरशरण कौर एक प्रोफेसर, लेखिका और कीर्तन गायिका हैं. जबकि, उनकी तीन बेटियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में विशिष्ट करियर बनाया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी सबसे बड़ी बेटी उपिंदर सिंह एक प्रसिद्ध इतिहासकार और अशोका विश्वविद्यालय में संकाय की डीन हैं. उन्होंने भारतीय इतिहास पर कई प्रभावशाली किताबें लिखी हैं, जिनमें प्राचीन और प्रारंभिक मध्यकालीन भारत का इतिहास और प्राचीन भारत का विचार शामिल हैं. उन्हें 2009 में सामाजिक विज्ञान के लिए इन्फोसिस पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. उपिंदर की शादी प्रसिद्ध लेखक विजय तन्खा से हुई है, जिन्होंने प्राचीन यूनानी दर्शन पर विस्तार से लिखा है.
कौन हैं पूर्व पीएम की दूसरी बेटी दमन सिंह!
वहीं, दूसरी बेटी दमन सिंह एक लेखिका हैं और उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें स्ट्रिक्टली पर्सनल भी शामिल है, जो उनके माता-पिता की जीवनी है. उन्होंने वन संरक्षण जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी द लास्ट फ्रंटियर: पीपल एंड फॉरेस्ट इन मिजोरम में विस्तार से लिखा है. जहां दमन की शादी आईपीएस अधिकारी और भारत के राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (NATGRID) के पूर्व सीईओ अशोक पटनायक से हुई है.
जानें मनमोहन सिंह की तीसरी बेटी का कैसा है करियर?
इसके अलावा तीनों में सबसे छोटी अमृत सिंह , संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक निपुण मानवाधिकार वकील हैं. वह स्टैनफोर्ड लॉ स्कूल में कानून की प्रोफेसर हैं और ओपन सोसाइटी जस्टिस इनिशिएटिव के साथ अपने काम के माध्यम से वैश्विक मानवाधिकार मुद्दों की प्रमुख वकील रही हैं. उनके पास येल लॉ स्कूल, ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज सहित प्रतिष्ठित संस्थानों से डिग्री हैं.
जानिए मनमोहन सिंह का योगदान और उनकी विरासत?
मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल (2004-2014) भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण रहा. उनकी नेतृत्व क्षमता और दृष्टिकोण ने भारत की अर्थव्यवस्था को कठिन दौर से उबारने में अहम भूमिका निभाई. उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण, आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को गति देने, सूचना अधिकार कानून को लागू करने और भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को लागू करने में महत्वपूर्ण रहा.
मनमोहन सिंह के निधन के बाद सोशल मीडिया में शोक संदेशों की आई बाढ़
मनमोहन सिंह की सादगी, विनम्रता और समर्पण ने उन्हें अपने समकालीनों और जनता का सम्मान दिलवाया. उनकी प्रसिद्ध उक्ति, "इतिहास मेरे प्रति समकालीन मीडिया की तुलना में अधिक दयालु होगा", उनकी विनम्रता और आत्मविश्वास को दर्शाती है. उनके निधन के समाचार के बाद, सोशल मीडिया पर उनके लिए श्रद्धांजलि और शोक संदेशों की बाढ़ आ गई, जो उनके योगदान और भारतीय राजनीति में उनके स्थान की गवाही देता है.