केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार (21 जून) को स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुई सिंधु जल संधि को बहाल नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत अब इस नदी के पानी को अपने आंतरिक उपयोग के लिए मोड़ेगा.
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “नहीं, इसे कभी बहाल नहीं किया जाएगा.” उन्होंने आगे कहा, “हम पाकिस्तान को जाने वाला पानी राजस्थान में नहर बनाकर ले जाएंगे. पाकिस्तान को वह पानी नहीं मिलेगा, जो उसे अनुचित रूप से मिलता रहा है.”
सिंधु जल संधि का निलंबन
सिंधु जल संधि, जो भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी प्रणाली के पानी के बंटवारे को नियंत्रित करती है, उसको भारत ने अप्रैल 2022 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद निलंबित कर दिया था. इस हमले में 26 नागरिक मारे गए थे. सरकार ने इस संधि के निलंबन को पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद के समर्थन से जोड़ा. पाकिस्तान ने पहलगाम हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है. दोनों परमाणु-संपन्न पड़ोसियों के बीच दशकों में सबसे खराब सीमा संघर्ष के बाद हुए युद्धविराम समझौते के बावजूद, यह संधि अभी भी निलंबित है.
पाकिस्तान की बार-बार अपील
अप्रैल के बाद से, इस्लामाबाद ने भारत से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का बार-बार आग्रह किया है. सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को कम से कम चार पत्र लिखे हैं, जिनमें से तीन पत्र पहलगाम हमले के बाद शुरू हुए सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के समापन के बाद भेजे गए. इन पत्रों में संधि के निलंबन की समीक्षा की मांग की गई है.
पाकिस्तानी सरकार का दावा है कि भारत का यह कदम संधि का उल्लंघन है और संधि की शर्तों के तहत “एकतरफा” निलंबन की अनुमति नहीं है. हालांकि, भारत का रुख स्पष्ट है कि “आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते”. भारत ने तब तक किसी भी संवाद से इनकार किया है, जब तक पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकी समूहों को वित्तपोषण बंद नहीं करता.
भारत का औपचारिक नोटिफिकेशन
भारत ने 24 अप्रैल को पाकिस्तान को संधि के निलंबन की औपचारिक सूचना दी थी. भारत की जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने अपने पत्र में कहा, “किसी भी संधि का सम्मान करना उसका मूलभूत सिद्धांत है. लेकिन इसके बजाय, हमें पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में लगातार सीमा पार आतंकवाद देखने को मिला है.”
एक दुर्लभ सहयोग का अंत
सिंधु जल संधि लंबे समय तक भारत और पाकिस्तान के बीच सहयोग का एक दुर्लभ उदाहरण रही है. हालांकि, वर्तमान परिस्थितियों में भारत का यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है.