क्या है अभय मुद्रा है जिसका राहुल गांधी ने संसद में किया जिक्र? हर धर्म से है नाता
Abhaya Mudra: सोमवार को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद में भगवान शिव की अभय मुद्रा वाली फोटो दिखाकर अभय मुद्रा के बारे में बताया. इस पर स्पीकर ने उन्हें किसी भी प्रकार की फोटो दिखाने से मना कर दिया. राहुल गांधी ने इस दौरान अभयमुद्रा को कांग्रेस का प्रतीक बताया है. योग में कई सारी मुद्राओं के बारे में बताया गया है. इनमें से एक अभय योग मुद्रा भी है. अधिकतर सारे देवी-देवताओं की तस्वीर भी अभय मुद्रा होती है. आइए जानते हैं कि अभय मुद्रा क्या होती है.
Abhaya Mudra: सोमवार को लोकसभा सदन की कार्यवाही के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भगवान शिव की अभयमुद्रा वाली फोटो दिखाई. इसके साथ उन्होंने गुरुनानक देव जी के लिए भी कहा कि वे भी अभय मुद्रा लगाकर बैठे हैं. वहीं, लोकसभा स्पीकर ने उनको फोटो दिखाने से रोक दिया. राहुल ने स्पीकर ओम बिरला से पूछा कि क्या सदन में भगवान शिव की तस्वीर नहीं दिखाई जा सकती है. इसके साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि जिस तह भगवान शंकर के गले में सांप लटके हैं और उन्होंने त्रिशूल धारण करके रखा हुआ है. उनसे अहिंसा की प्रेरणा लेनी चाहिए.
इस दौरान राहुल गांधी ने अभय मुद्रा का भी जिक्र किया. जब आप किसी देवी-देवता की तस्वीर देखते हैं तो वे आशीर्वाद की मुद्रा में होते हैं. इसी को अभयमुद्रा कहा गया है. अभय मुद्रा का हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों में काफी अधिक महत्व है. इसके साथ ही मुस्लिम और सिख धर्म में भी अभय मुद्रा देखने को मिलती है. हिंदू देवी-देवता भी प्राचीन चित्रों और मंदिरों में इसी मुद्रा में दिखाई देते हैं. वे आशीर्वाद देने के लिए अभय मुद्रा का प्रयोग करते थे. वहीं, जब गौतम बुद्ध के पास एक उग्र हाथी आया तो उन्होंने अभय मुद्रा धारण की तो वह हाथी खुद से शांत हो गया.
राहुल गांधी ने बताई अभय मुद्रा की विशेषता
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि ‘अभय मुद्रा कांग्रेस का प्रतीक है और अभयमुद्रा निर्भयता का संकेत है. आश्वासन और सुरक्षा का संकेत है. यह डर को दूर करती है. हिंदू धर्म, इस्लाम, सिख धर्म और बौद्ध धर्म और अन्य भारतीय धर्मों में दिव्य सुरक्षा और आनंद प्रदान करता है. हमारे सभी महापुरुषों ने अहिंसा और भय को खत्म करने की बात की है. लेकिन, जो खुद को हिंदू कहते हैं वे केवल हिंसा, घृणा, असत्य की बात करते हैं.
क्या है यह अभय मुद्रा?
अभय मुद्रा का इंद्रियों का शांत करती है. यह आशीर्वाद की मुद्रा है. अभय मुद्राा का अर्थ निडर होना होता है. पहले इस मुद्रा का इस्तेमाल कई सांकेतिक रूप से होता था. कई जगहों पर इसे अभिवादन के रूप में इस्तेमाल किया जा था. इसके अलावा जब कोई दुश्मन से समझौता या दोस्ती करने जाते थे तो वे अभय मुद्रा का प्रयोग करते थे, इससे वे यह संकेत देते थे कि उनके पास कोई हथियार नहीं है.
इन दिक्कतों से बचाती है यह मुद्रा
नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए और मन को शांत रखने के लिए व चिंता और डर को दूर रखने के लिए व साहस के लिए अभय मुद्रा का अभ्यास कर सकते हैं.
ऐसे करें अभ्यास
इस मुद्रा का अभ्यास दाएं हाथ से किया जाता है. इसके लिए पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं. गहरी सांस लें, जिससे मन में कोई तनाव न रहे और आपका शरीर रिलेक्स रहे. इस दौरान आप अपनी आंखों को खुला या बंद रख सकते हैं. इसके बाद अपने बाएं हाथ को बाएं घुटने पर ऊपर की ओर रखें. इसके बाद दाहिने हाथ को सीने के बराबर लाएं और इस दौरान अपनी हथेली खुली और आगे की ओर रखें. इस दौरान सभी अंगुलियां सीधी रहें. जैसे किसी को आशीर्वाद दिया जाता है. इस मुद्रा में आप ओम का उच्चारण कर सकते हैं. इस मुद्रा को दिन में करीब 30 मिनट तक करना चाहिए.
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