भारत के साथ बेहतर संबंधों को लेकर अमेरिका के दोनों दलों में सहमति, डेमोक्रेट्स-रिपब्लिक मिलकर करने जा रहे ये काम
अमेरिका में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन सांसद मिलकर भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक नई द्विदलीय प्रस्तावना पेश करने जा रहे हैं. यह प्रस्ताव रक्षा, टेक्नोलॉजी, व्यापार और क्वाड सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित है.
नई दिल्ली: अमेरिकी कांग्रेस में इस सप्ताह भारत-अमेरिका संबंधों को नए स्तर पर ले जाने के उद्देश्य से एक द्विदलीय प्रस्ताव पेश किया जाएगा, जिसे कुल 24 सांसदों का समर्थन प्राप्त है.
अमेरिकी सांसद अमी बेरा द्वारा पेश की गई इस प्रस्तावना में क्वाड के भीतर सहयोग बढ़ाने, रक्षा साझेदारी गहरी करने और टेक्नोलॉजी व व्यापार संबंधों को मजबूत करने की बात कही गई है. हाल ही में ऊर्जा और व्यापार को लेकर पैदा हुई तनातनी के बीच यह प्रस्ताव दोनों देशों के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है.
Quad और Indo-Pacific में गहरा सहयोग
अमी बेरा द्वारा तैयार प्रस्ताव के मसौदे में भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को 'क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक वृद्धि और वैश्विक सुरक्षा के लिए आवश्यक' बताया गया है. दस्तावेज दोनों देशों से आग्रह करता है कि वे एक मुक्त, खुला और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र बनाने के लिए क्वाड के माध्यम से सहयोग बढ़ाएं. प्रस्ताव तकनीकी साझेदारी को TRUST पहल के तहत आगे बढ़ाने और आतंकवाद-रोधी कदमों में संयुक्त प्रयासों को तेज करने पर भी बल देता है.
रिश्तों में हालिया तनाव पर कांग्रेस की स्थिति
अमी बेरा ने कहा कि सितंबर में भारत दौरे के दौरान उन्होंने दोनों देशों के बीच बढ़ती बेचैनी को महसूस किया. उन्होंने स्वीकार किया कि राष्ट्रपति ट्रंप की कुछ टिप्पणियों से रिश्तों में हल्की खींचतान जरूर आई है. इसके बावजूद बेरा का मानना है कि कांग्रेस में दोनों दलों के बीच इस बात पर स्पष्ट सहमति है कि भारत-अमेरिका रिश्ता आने वाले दशकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और इसे किसी भी तरह की राजनीतिक टिप्पणी प्रभावित नहीं कर सकती.
दोनों दलों के प्रभावशाली नेताओं का समर्थन
इस प्रस्ताव को डेमोक्रेट और रिपब्लिकन, दोनों पार्टियों के वरिष्ठ सांसदों ने समर्थन दिया है. डेमोक्रेटिक पक्ष से राजा कृष्णमूर्ति, सुबास सुब्रमण्यम और श्री थानेदार इसमें शामिल हैं. वहीं रिपब्लिकन सांसदों में इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष रिच मैककॉमिक, दक्षिण एशिया उपसमिति प्रमुख बिल हाइजेंगा और पूर्वी एशिया एवं प्रशांत मामलों की प्रमुख यंग किम भी इस प्रस्ताव के सह-प्रायोजक हैं.कुल 24 सांसद इस बिल को आगे बढ़ाने पर सहमत हैं.
भारतीय-अमेरिकी समुदाय की भूमिका पर जोर
प्रस्ताव में करीब 50 लाख की भारतीय-अमेरिकी आबादी के योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है. अमेरिकी व्यवसाय, शिक्षा, विज्ञान और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में इस समुदाय की भूमिका को 'अमूल्य' बताया गया है. हाल के महीनों में भारतीयों के खिलाफ बढ़ती नस्लीय भाषा को लेकर चिंता जताई गई है, जिसे प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भी अहम मुद्दा माना गया. अमी बेरा ने कहा कि नफरत भरी भाषा का प्रभाव केवल भारतीय-अमेरिकियों तक सीमित नहीं, बल्कि कई समुदाय इससे प्रभावित हो रहे हैं.
डायस्पोरा को भी जोड़ने की कोशिश
बेरा ने उम्मीद जताई कि यह प्रस्ताव भारतीय-अमेरिकी समुदाय को भी अपने-अपने क्षेत्रों के सांसदों से संवाद बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा. उनका कहना है कि चाहे ह्यूस्टन हो, मियामी हो या न्यूयॉर्क, भारतीय मूल के नागरिक इस प्रस्ताव को अपने प्रतिनिधियों के सामने रखकर भारत-अमेरिका संबंधों के समर्थन की मांग कर सकते हैं. बेरा के अनुसार, यह प्रस्ताव केवल सरकारों के बीच नहीं, बल्कि दोनों देशों की जनता और प्रवासी समुदाय के बीच विश्वास का सेतु मजबूत करेगा.