केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने हिंदी भाषा से जुड़े आदेश को किसी दबाव में वापस नहीं लिया. उन्होंने कहा, “सरकार ने डरकर निर्णय लिया, ऐसा नहीं है, जब मराठी लोगों की भावनाओं को हमने देखा, तो फडणवीस सरकार ने ये निर्णय लिया.” यह बयान उस समय आया जब महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के फैसले को वापस लिया.
हिंदी भाषा नीति पर विवाद
पिछले महीने महाराष्ट्र सरकार ने पहली से पांचवीं कक्षा तक मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था. इस फैसले का शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कड़ा विरोध किया. दोनों नेताओं ने इसके खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी थी. इसके बाद, फडणवीस सरकार ने जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस आदेश को वापस ले लिया.
उद्धव-राज का संयुक्त मंच
मुंबई में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एक मंच पर आकर मराठी अस्मिता की रक्षा का संकल्प लिया. इस दौरान राज ठाकरे ने सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा, “महाराष्ट्र सरकार को विरोध के कारण तीन भाषाओं को लागू करने के आदेश को वापस लेना पड़ा. उन्होंने आगे कहा, “महाराष्ट्र सरकार के मंत्री दादा भुसे मेरे पास आए थे और कहा था कि मुझे उनकी बात सुननी चाहिए. लेकिन मैंने उन्हें साफ कर दिया था कि पहले आप बताओ उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान के लिए तीसरी भाषा कौन सी होगी. हिंदी भाषा वाले सारे राज्य हमसे पीछे हैं. हमें हिंदी बोलने के लिए बाध्य क्यों किया जा रहा है.
मराठी गौरव का मुद्दा
उद्धव और राज ठाकरे ने इस अवसर पर मराठी गौरव को सर्वोपरि बताया और कहा कि किसी भी भाषा को मराठी पर थोपना स्वीकार नहीं किया जाएगा. इस संयुक्त रैली ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू किया है.