केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2027 की जनगणना के लिए 11,718 करोड़ के बजट को दी मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2027 में जनगणना करना के लिए शुक्रवार को 11,718 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दे दी. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इसकी घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दस साल में होने वाले इस अभ्यास की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि जनगणना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अभ्यास है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2027 में जनगणना करना के लिए शुक्रवार को 11,718 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दे दी. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इसकी घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दस साल में होने वाले इस अभ्यास की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि जनगणना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अभ्यास है.
कोविड-19 के कारण 2021 की जनगणना टल गई थी, जिसके बाद अब 2027 को नई संदर्भ तिथि तय की गई है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे भारत की प्रशासनिक और विकास योजनाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि 150 वर्षों से चल रही यह परंपरा देश की नीतियों को दिशा देने में अहम भूमिका निभाती रही है.
2027 जनगणना का सरकारी ऐलान
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अश्विनी वैष्णव ने बताया कि जनगणना का कार्यक्रम गजट अधिसूचना में 16 जून 2025 को दर्ज किया जा चुका है. इससे स्पष्ट हो गया है कि देशभर में जनगणना 2027 में ही आयोजित होगी. यह निर्णय लंबे अंतराल के बाद ऐतिहासिक डेटा को नया रूप देगा.
दो चरणों में होगी पूरी प्रक्रिया
सरकार ने जनगणना को दो चरणों में विभाजित किया है. पहला चरण—हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना—अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच आयोजित होगा. राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी सुविधा के अनुसार 30 दिनों की अवधि तय कर सकेंगे.
आबादी गणना का मुख्य चरण
दूसरा चरण, यानी पॉपुलेशन एन्यूमरेशन, फरवरी 2027 में होगा. वहीं बर्फ़ीले क्षेत्रों में यह कार्य 20 सितंबर से शुरू किया जाएगा. यह चरण सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसमें देश की वास्तविक आबादी और उसकी संरचना दर्ज होती है.
150 वर्षों की ऐतिहासिक परंपरा
मंत्री ने कहा कि भारत 150 वर्षों से जनगणना रिकॉर्ड सहेजता आ रहा है. यह निरंतरता देश को सामाजिक, आर्थिक और क्षेत्रीय बदलावों का सटीक आकलन देती है. हर दशक की जनगणना नीति निर्धारण के लिए विश्वसनीय आधार बनती है.
बजट मंजूरी का महत्व
11,718 करोड़ रुपये की मंजूरी से राज्यों को तकनीकी और प्रशासनिक तैयारियों में सहयोग मिलेगा. यह राशि प्रशिक्षण, डेटा संग्रह, डिजिटाइजेशन और व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने में उपयोग होगी. सरकार का मानना है कि यह जनगणना देश के भविष्य की विकास योजनाओं की रीढ़ साबित होगी.