बंगाल में SIR पर बवाल, ECI ने मीटिंग के लिए मांगे 4 नाम, TMC ने 10 नाम भेजकर फिर फंसाया मामला!
टीएमसी ने लिखा कि ये सभी प्रतिनिधि जनता द्वारा चुने गए हैं न कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग की तरह जिन्हें भारत सरकार द्वारा चुना जाता है.
पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे विशेष गहन पुनरिक्षण (SIR) पर चर्चा के लिए तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग से समय मांगा था, जिस पर चुनाव आयोग ने पार्टी को शुक्रवार का वक्त दिया था. चुनाव आयोग ने सोमवार को कहा था कि पार्टी के एक अधिकृत प्रतिनिधि और चार अन्य लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार सुबह 11 बजे पार्टी के शीर्ष अधिकारियों से मिल सकता है.
तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को बैठक में शामिल होने वाले 10 प्रतिनिधियों के नाम लिखकर चुनाव आयोग को भेज दिए और कहा कि वे बैठक में शामिल होने वाली पार्टी के प्रतिनिधियों की ऊपरी सीमा से सहमत नहीं हैं. टीएमसी के राष्ट्रीय सचिव अभिषेक बनर्जी ने भी चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी.
अभिषेक बनर्जी ने एक्स पर लिए अपने पोस्ट में कहा कि उन्होंने अपने 10 सांसदों से मिलने के लिए समय मांगा था और ये सभी प्रतिनिधि देश की जनता द्वारा चुने गए हैं न कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग की तरह जिन्हें भारत सरकार द्वारा चुना जाता है. यह चुनिंदा रवैया बताता है कि चुनाव आयोग में पारदर्शिता और सौहार्दता की बात एक दिखावा मात्र है.
उन्होंने आगे लिखा कि यदि चुनाव आयोग सच में पारदर्शी है तो वह 10 सांसदों का सामना करने से क्यों डर रहा है. लाइव टेलिकास्ट करें और पांच सीधे और वैध सवालों के जवाब दें तो तृणमूल कांग्रेस आपके सामने रखेगी. उन्होंने सवाल किया कि क्या चुनाव आयोग अपनी पारदर्शिता साबित करेगा या फिर वह दरवाजों के पीछे से ही काम करता है.
बैठक में शामिल होने के लिए तृणमूल कांग्रेस द्वारा चुनाव आयोग को जो 10 सांसदों के नाम दिए गए हैं वे इस प्रकार हैं...
1. डेरेक ओ'ब्रायन (नेता, एआईटीसी संसदीय दल, राज्यसभा)
2. शताब्दी रॉय (उपनेता, लोकसभा)
3. कल्याण बनर्जी (सांसद, लोकसभा)
4. डोला सेन (सांसद, राज्य सभा)
5. प्रतिमा मंडल (सांसद, लोकसभा)
6. सजदा अहमद (सांसद, लोकसभा)
7. ममता ठाकुर (सांसद, राज्य सभा)
8. महुआ मोइत्रा (सांसद, लोकसभा)
9. साकेत गोखले (सांसद, राज्यसभा)
10. प्रकाश चिक बारिक (सांसद, राज्य सभा)