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India Daily

'भारत छोड़ रहा हूं', गुरुग्राम में सड़कों पर जलभराव की समस्या से तंग आकर युवक ने लिया फैसला, वायरल हुआ पोस्ट

शख्स ने लोगों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए. शख्स ने कहा कि हम जैसे लोग बस मौजूदा स्थिति को स्वीकार कर लेते हैं. यह उचित नहीं कि हमें ऐसी परिस्थितियों में जीना पड़े.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Tired with flooded Gurugram roads man decided to leave India

गुरुग्राम के एक युवक ने शहर में मानसून के दौरान होने वाली जलभराव की स्थिति से तंग आकर अपनी निराशा व्यक्त की और भारत छोड़ने का फैसला किया है. सोशल मीडिया पर उसका पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है.

शख्स बोला "मैं भारत छोड़ रहा हूं"

रेडिट पर "मैं भारत छोड़ रहा हूं" शीर्षक से लिखी गई उनकी पोस्ट में युवक ने बताया कि कैसे अमीर इलाकों में भी जलभराव की समस्या ने उन्हें हताश कर दिया. उन्होंने लिखा, "कल रात मैंने कम से कम पांच लग्जरी कारों को जलभराव में फंसा देखा, और मैं खुद अपनी कार में उस स्थिति से गुजरा. यह पागलपन है." उन्होंने प्रभावशाली लोगों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए. "मुझे लगता है कि अमीर लोग या उद्योगपति सरकार पर दबाव डाल सकते हैं, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती."

सरकार पर अब भरोसा नहीं रहा

युवक ने मध्यम वर्ग की उदासीनता पर भी टिप्पणी की. "हम जैसे लोग बस मौजूदा स्थिति को स्वीकार कर लेते हैं. मुझे मानसून में अपनी कार निकालने से डर लगता है, एक नुकसान मुझे भारी पड़ सकता है," उन्होंने लिखा. "यह उचित नहीं कि हमें ऐसी परिस्थितियों में जीना पड़े. सत्ता में हो या विपक्ष, सरकार पर अब भरोसा नहीं रहा."

भारत छोड़ने का दृढ़ निश्चय

उन्होंने अपनी पोस्ट में स्पष्ट किया, "मैंने भारत छोड़ने का फैसला किया है. मैं ऐसी जिंदगी नहीं जीना चाहता, जहां लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करें." उन्होंने कहा कि यह कोई आवेश में लिया गया निर्णय नहीं है. शख्स ने लिखा "यह एक आकस्मिक गुस्सा हो सकता है, लेकिन मैं अब तंग आ चुका हूं." 

वायरल पोस्ट पर क्या बोले लोग

सोशल मीडिया पर यूजर्स ने गुरुग्राम की खराब बुनियादी ढांचे की आलोचना की. एक इंटर्न ने लिखा, "मैं साइबरहब और इमारतों से प्रभावित होकर यहां आया, लेकिन अंदर का हाल बदतर है. काम पर जाना टेम्पल रन खेलने जैसा है. सड़कें चलने लायक नहीं, फुटपाथ गंदगी और तारों से भरे हैं." एक अन्य यूजर ने कहा, "भारी टैक्स और ईएमआई चुकाने के बाद यह अव्यवस्था? देश छोड़ना बेहतर विकल्प लगता है."

बुनियादी ढांचे पर व्यापक चर्चा

कुछ यूजर्स ने तुलनात्मक दृष्टिकोण दिया. एक यूजर ने कहा, "मैं तूफान और चक्रवात वाले शहरों में रहा हूं. वहां सिस्टम है. चेतावनी जारी होती है, स्कूल-दफ्तर बंद होते हैं. भारत में सिस्टम को कोई फर्क नहीं पड़ता. नालों की सफाई न हो तो बाढ़ आएगी ही." एक अन्य यूजर ने तीखी टिप्पणी की, "लोग त्रासदी होने पर ही शिकायत करते हैं, फिर भूल जाते हैं. मतदाता लंबे समय के लिए नहीं सोचते, इसलिए सरकारें भी नहीं. हमारा परिवेश हमारी प्राथमिकताओं का आईना है."