Telangana News: तेलंगाना सरकार ने शुक्रवार को राज्य के ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग (BC) के लिए 42% आरक्षण लागू करने का आदेश जारी किया. यह निर्णय सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक, रोजगार, राजनीतिक और जाति सर्वेक्षण के आधार पर लिया गया है, जिससे बीसी समुदाय को उनकी 56% से अधिक जनसंख्या के अनुपात में उचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिल सके. यह कदम समावेशी विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है.
तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग (बीसी) समुदाय के लिए एक नया युग शुरू हुआ है. राज्य सरकार ने स्थानीय निकायों में 42% आरक्षण लागू करने का फैसला किया है, जो बीसी समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है. यह निर्णय न केवल सामाजिक समानता को बढ़ावा देगा, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बीसी समुदाय की आवाज को और मजबूत करेगा. इस कदम से तेलंगाना सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक मिसाल कायम कर रहा है.
तेलंगाना सरकार ने यह कदम सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी बुसानी वेंकटेश्वर राव की अध्यक्षता वाली समर्पित आयोग की सिफारिशों के आधार पर उठाया है. आयोग ने सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक, रोजगार, राजनीतिक और जाति (SEEEPC) सर्वेक्षण के जरिए बीसी समुदाय की स्थिति का गहन अध्ययन किया. सर्वेक्षण में पाया गया कि 56% से अधिक आबादी वाले बीसी समुदाय का स्थानीय निकायों में प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है. इस कमी को दूर करने के लिए सरकार ने त्वरित कार्रवाई की.
Telangana Government orders to provide 42% Reservation of seats and positions in Local bodies for Backward Classes in Telangana State pic.twitter.com/LnDkBeUDyF
— ANI (@ANI) September 26, 2025
आरक्षण को तत्काल प्रभाव से लागू करने का आदेश
तेलंगाना पिछड़ा वर्ग (ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में सीटों का आरक्षण) विधेयक, 2025 को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई. इस विधेयक ने आरक्षण को कानूनी रूप प्रदान किया. पंचायत राज, ग्रामीण विकास और नगर प्रशासन विभागों को इस आदेश को तत्काल लागू करने का निर्देश दिया गया है. यह सुनिश्चित किया गया है कि आरक्षण का लाभ सभी पात्र बीसी समुदायों तक समान रूप से पहुंचे.
समुदाय पर प्रभाव
यह निर्णय बीसी समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. इससे न केवल उनकी राजनीतिक भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास में भी उनकी भूमिका मजबूत होगी. स्थानीय निकायों में बढ़ा हुआ प्रतिनिधित्व बीसी समुदाय को नीति-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम तेलंगाना में समावेशी विकास को गति देगा.
आगे की राह
तेलंगाना सरकार का यह कदम अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है. बीसी समुदाय के नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया है. हालांकि, इस नीति के प्रभावी कार्यान्वयन और इसके परिणामों पर सभी की नजर रहेगी. सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह इस नीति को लागू करने में किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगी.