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India Daily

'गैर BJP राज्यों को पंगु बनाने का इरादा', CM स्टालिन ने राष्ट्रपति मुर्मू पर हमला, SC के राज्यपाल पर दिए फैसले पर उठाए थे सवाल

तमिलननाडु के सीएम स्टालिन का यह बयान केंद्र और राज्यों के बीच बढ़ते तनाव को रेखांकित करता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाला यह संदर्भ न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे देश की संघीय संरचना के लिए महत्वपूर्ण सवाल उठाता है.

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Edited By: Mayank Tiwari
President Droupadi Murmu VS CM Stalin
Courtesy: Social Media

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति संदर्भ को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इसे "संवैधानिक स्थिति को कमजोर करने की कोशिश" करार दिया, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा तमिलनाडु के राज्यपाल मामले में पहले ही स्पष्ट की जा चुकी है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर 14 सवाल उठाए, जिसमें राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए विधायी कार्यों पर समय-सीमा तय की गई थी. स्टालिन ने केंद्र से तीन सवाल पूछे, जिसमें यह जानना चाहा कि क्या केंद्र "गैर-भाजपा राज्यों की विधानसभाओं को ठप करने" का इरादा रखता है।

सीएम स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी पोस्ट में लिखा, "मैं केंद्र सरकार के राष्ट्रपति संदर्भ की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं, जो तमिलनाडु के राज्यपाल मामले और अन्य मिसालों में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित संवैधानिक स्थिति को कमजोर करने का प्रयास करता है.

राज्यपालों के नियंत्रण में लाने की होड़ लगी! CM 

ऐसे में ये साफ तरीके से पता चलता है कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने भाजपा के इशारे पर मंदीप मल्होत्रा ने लोगों के जनादेश को कमजोर करने के लिए काम किया." उन्होंने इसे "लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राज्य सरकारों को कमजोर करने और उन्हें केंद्र सरकार के एजेंट के रूप में काम करने वाले राज्यपालों के नियंत्रण में लाने का हताश प्रयास" बताया.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का महत्व

8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में राज्यपालों के लिए राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई करने की स्पष्ट समय-सीमा तय की थी. कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत स्पष्ट किया कि राज्यपालों को ऐसे विधेयकों पर कोई स्वविवेकी शक्ति नहीं है और वे मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य हैं. जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि राज्यपाल व्यक्तिगत असंतोष, राजनीतिक विचारों या किसी अप्रासंगिक आधार पर विधेयक को रोक नहीं सकते.। ऐसा करना असंवैधानिक होगा और तत्काल अमान्य करार दिया जाएगा.

गैर-भाजपा राज्यों से एकजुटता की अपील

स्टालिन ने सभी गैर-भाजपा राज्यों से "संविधान की रक्षा के लिए कानूनी संघर्ष में एकजुट होने" का आह्वान किया. उन्होंने कहा, "हमारा राष्ट्र एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है. संदर्भ में उठाए गए सवाल भाजपा नीत केंद्र सरकार की संविधान की शक्ति वितरण की मूल संरचना को बिगाड़ने और विपक्षी दलों द्वारा प्रभुत्व वाली राज्य विधानसभाओं को अक्षम करने की दुर्भावनापूर्ण मंशा को उजागर करते हैं. यह राज्य की स्वायत्तता के लिए एक स्पष्ट और तत्काल खतरा है."