सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय नर्स और मौत की सजा पा चुकी निमिषा प्रिया के मामले में व्यक्तियों को असत्यापित सार्वजनिक बयान देने से रोकने के आदेश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता के.ए. पॉल से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी के इस आश्वासन के बारे में सवाल किया कि इस मामले पर केवल सरकार ही बोलेगी और कोई अन्य नहीं.
पीठ ने पूछा, आप क्या चाहते हैं? क्या आप चाहते हैं कि कोई भी मीडिया से बात न करे? अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी मीडिया को जानकारी न दे. आप और क्या चाहते हैं?" वेंकटरमणी ने इस मुद्दे को "बहुत संवेदनशील" बताया और अदालत को आश्वासन दिया कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता, तब तक कोई मीडिया ब्रीफिंग नहीं की जाएगी. मामला वापस ले लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया.
पॉल ने इस मामले में मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए कानूनी हस्तक्षेप की मांग की थी . उन्होंने बताया कि संवेदनशील वार्ताएं चल रही हैं और कुछ लोग गलत बयान दे रहे हैं.
प्रिया की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के लिए उठाए गए कदम
याचिका में अनुरोध किया गया कि केंद्र सरकार प्रिया की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के लिए यमन के साथ तत्काल, समन्वित कूटनीतिक कदम उठाए. अन्य निर्देशों के अलावा इसमें एक ऐसा आदेश देने की भी मांग की गई है जिसमें अधिकारियों को एक व्यापक, समयबद्ध मीडिया प्रतिबंध के लिए सक्षम न्यायालय से संपर्क करने की आवश्यकता हो, जिससे किसी को भी वार्ता को संभालने वाली अधिकृत सरकारी एजेंसी से पूर्व पुष्टि के बिना असत्यापित बयान या सामग्री प्रकाशित करने से रोका जा सके.
14 अगस्त को याचिकाकर्ता संगठन के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रिया को “कोई तत्काल खतरा” नहीं है. उस समय, अदालत एक अलग याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र से केरल के पलक्कड़ की 38 वर्षीय नर्स को बचाने के लिए राजनयिक चैनलों का उपयोग करने का आग्रह किया गया था, जिसे 2017 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार की हत्या का दोषी ठहराया गया था.
फांसी पर लगी थी रोक
पिछले महीने अदालत को सूचित किया गया था कि प्रिया की फांसी जो पहले 16 जुलाई को होनी थी, पर रोक लगा दी गई है. 18 जुलाई को केंद्र ने अदालत को बताया कि प्रयास जारी हैं और सरकार प्रिया की सुरक्षित रिहाई के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. प्रिया को 2017 में दोषी ठहराया गया, 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उसकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई. वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की जेल में कैद है.