मुंबई: महाराष्ट्र निकाय चुनाव से पहले महा विकास अघाड़ी में बड़ा राजनीतिक टकराव पैदा हो गया है. कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के बीच मनसे को गठबंधन में शामिल करने को लेकर खुला विवाद सामने आ गया है. कांग्रेस मनसे को एमवीए में शामिल करने के सख्त खिलाफ है और इसी वजह से उसने बीएमसी और अन्य निकाय चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है.
इस बीच शरद पवार के रुख ने राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी है क्योंकि उन्होंने कांग्रेस के बजाय ठाकरे बंधुओं के साथ गठबंधन का संकेत दे दिया है. बीएमसी चुनाव को लेकर हुई शरद गुट की महत्वपूर्ण बैठक में पार्टी नेताओं ने एकमत से यह सुझाव दिया कि शिवसेना (उद्धव गुट) और राज ठाकरे की मनसे के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा जाए.
बैठक में सुप्रिया सुले, राखी जाधव और जितेंद्र आह्वाड शामिल थे. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने साफ कहा कि बीजेपी के अलावा किसी भी दल के साथ गठबंधन पर विचार किया जा सकता है. इससे कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है. कांग्रेस ने पिछले हफ्ते शरद पवार से मुलाकात कर उनसे आग्रह किया था कि बीएमसी चुनाव में एनसीपी और कांग्रेस साथ लड़ें और मनसे को गठबंधन में शामिल न किया जाए.
कांग्रेस का तर्क है कि मनसे का साथ लेने से महा विकास अघाड़ी की वैचारिक छवि कमजोर होगी. हालांकि शरद पवार ने भरोसा दिया था कि 22 नवंबर को आंतरिक बैठक के बाद फैसला लिया जाएगा. अब शरद गुट की बैठक के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि वे ठाकरे भाइयों के साथ गठबंधन की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं.
कांग्रेस में मनसे को लेकर मतभेद भी सामने आ रहे हैं. विजय वडेट्टीवार ने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट होना चाहिए और मनसे के साथ गठबंधन पर विचार किया जा सकता है. जबकि मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड ने मनसे के साथ किसी भी तरह की साझेदारी को पूरी तरह खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि मुंबई कांग्रेस ने साफ फैसला ले लिया है कि वह उन पार्टियों के साथ नहीं जाएगी जिन्हें राजनीतिक टकराव पसंद है.
उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस दिल्ली से आदेश का इंतजार कर रही है और मुंबई कांग्रेस का फैसला अंतिम नहीं माना जा सकता. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि शिवसेना और मनसे पहले ही साथ आ चुके हैं और इसके लिए किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है. राउत ने दावा किया कि शरद पवार और लेफ्ट पार्टियां भी साथ हैं और यह गठबंधन मुंबई बचाने के लिए जरूरी है.