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'शं नो वरुण', क्या है संस्कृत के इस श्लोक का मतलब, जिसे नेवल ऑपरेशन के DG ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोला

इसी तरह भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है – "नभः स्पृशं दीप्तम्", जिसका अर्थ है – "गौरव के साथ आकाश को छूओ". यह वाक्य भगवद गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Sham no Varunah What is meaning of Sanskrit phrase invoked by DG of Naval Operations
Courtesy: Social Media

भारतीय सशस्त्र बलों के संचालन महानिदेशक (Director General of Operations) ने पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान नौसेना संचालन महानिदेशक वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद ने बताया कि इंडियन नेवी ने अपने कैरियर बैटल ग्रुप, सतह पर तैनात युद्धपोत, पनडुब्बियां और नौसेना विमानन इकाइयों को पूरी तरह युद्ध के लिए तैयार कर दिया है.

'शं नो वरुण' का उच्चारण और उसका महत्व

प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में वाइस एडमिरल प्रमोद ने 'शं नो वरुणः' कहकर अपने संबोधन को समाप्त किया और ‘जय हिंद’ कहा. यह संस्कृत श्लोक भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य है, जिसका अर्थ है – "जल के देवता वरुण हमारे लिए शुभ हों". यह वाक्य तैत्तिरीय उपनिषद से लिया गया है और समुद्र के प्रति श्रद्धा व सुरक्षा के संकल्प को दर्शाता है.

संस्कृत से प्रेरित हैं भारतीय सेनाओं के आदर्श वाक्य

भारतीय नौसेना की तरह अन्य सैन्य और खुफिया एजेंसियों के आदर्श वाक्य भी संस्कृत शास्त्रों से लिए गए हैं. जैसे रॉ (RAW) का आदर्श वाक्य है – “धर्मो रक्षति रक्षितः” यानी “जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है.” यह वाक्य मनुस्मृति और महाभारत से लिया गया है.

इसी तरह भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है – "नभः स्पृशं दीप्तम्", जिसका अर्थ है – "गौरव के साथ आकाश को छूओ". यह वाक्य भगवद गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है.

96 घंटे के भीतर युद्धाभ्यास

वाइस एडमिरल प्रमोद ने यह भी बताया कि आतंकी हमले के केवल 96 घंटे के भीतर नौसेना ने अरब सागर में व्यापक युद्धाभ्यास और हथियार परीक्षण किए. इस दौरान जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों ने सटीकता से निशानों पर हमला कर अपनी क्षमता और तत्परता को प्रमाणित किया.