menu-icon
India Daily
share--v1

कांग्रेस के नए 'मणिशंकर' बने सैम पित्रोदा, कब-कब उनके बयानों की वजह से फंसी पार्टी?

सिख विरोधी दंगों पर 'हुआ तो हुआ' से लेकर विरासत कर तक: सैम पित्रोदा ने अपने बयानों से कांग्रेस को कई बार फंसाया है. शिकागो में रहने वाले सैम पित्रोदा ने राजीव गांधी के प्रधान मंत्री रहते हुए उनके सलाहकार के रूप में काम कर चुके हैं.

auth-image
India Daily Live
Sam Pitroda

एक समय दूरसंचार क्रांति के चेहरा रहे सैम पित्रोदा ने अपने बयानों से कांग्रेस को कई बार संकट में डाला है. नेहरू-गांधी परिवार के करीबी विश्वासपात्र और राजीव गांधी के सहयोगी सैम पित्रोदा ने लोकसभा चुनाव के बीच में विरासत पर बयान देकर एक बार फिर से पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है. इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने पीएम मोदी के संपत्ति के बंटवारे वाले बयान के बाद विरासत टैक्स को लेकर टिप्पणी से भारत की राजनीति में हलचल मचा दी है. 

सैम पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में विरासत कर (टैक्स) लगता है. अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो वह केवल 45 फीसदी अपने बच्चों को दे सकता है. 55 फीसदी सरकार द्वारा हड़प लिया जाता है. यह एक दिलचस्प नियम है. यह कहता है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब आप जा रहे हैं, आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए. ये मुझे अच्छा लगता है. शिकागो में रहने वाले 81 वर्षीय पित्रोदा, जो अपनी वेबसाइट पर खुद को "दूरसंचार आविष्कारक, उद्यमी, विकास विचारक और नीति निर्माता" बताते हैं, ने राजीव गांधी के प्रधान मंत्री रहते हुए उनके सलाहकार के रूप में कार्य किया था.

दूरसंचार आयोग के पहले अध्यक्ष

1989 में वह दूरसंचार आयोग के पहले अध्यक्ष बने और 2005 से 2009 तक प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के अधीन राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का नेतृत्व भी किया. 2009 में उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद के साथ सार्वजनिक सूचना बुनियादी ढांचे पर प्रधान मंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था. पित्रोदा अन्य कार्यक्रमों के अलावा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के अंतरराष्ट्रीय भाषण कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं. हालांकि, तकनीकी मामलों में कांग्रेस के पसंदीदा व्यक्ति ने अतीत में कई बयान दिए हैं जिनसे पार्टी को नुकसान हुआ है. इस बार की तरह पार्टी को उनके पहले के बयानों से भी खुद को अलग करना पड़ा है.

पित्रोदा की टिप्पणी तब आई जब कांग्रेस पहले से ही इस मुद्दे पर बैकफुट पर थी पीएम नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि कांग्रेस के घोषणापत्र से पता चलता है कि वह देश की संपत्ति का पुनर्वितरण करने का इरादा रखती है. हालांकि कांग्रेस ने इसका खंडन किया है और कहा है कि पार्टी मोदी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर चुनाव आयोग से संपर्क करेगी. बुधवार को, जैसे ही पित्रोदा की टिप्पणी सार्वजनिक हुई, पीएम और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर अपना हमला तेज कर दिया. 

पित्रोदा के बयान से खड़ा हुआ विवाद

2019 के लोकसभा चुनावों से पहले पित्रोदा ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा था कि मध्यम वर्ग को सभी गरीब परिवारों के लिए न्यूनतम आय की गारंटी के लिए अधिक कर देने के लिए तैयार रहना चाहिए, और उनसे "स्वार्थी" न होने के लिए कहा. उन्होंने मुंबई आतंकी हमले को लेकर भी बयान दिया था. पित्रोदा ने कहा कि हमला मुंबई में भी हुआ, हम तब प्रतिक्रिया दे सकते थे और अपने विमान भेज सकते थे. लेकिन यह सही दृष्टिकोण नहीं है. आठ लोग (26/11 के आतंकवादी) आते हैं और कुछ करते हैं, आप पूरे देश (पाकिस्तान) पर नहीं कूदते. यह मान लेना मूर्खतापूर्ण है कि सिर्फ इसलिए कि कुछ लोगों ने यहां आकर हमला किया, उस देश के प्रत्येक नागरिक को दोषी ठहराया जाएगा. 

सिख विरोधी दंगों पर दिया विवाद बयान

2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान जब भाजपा ने दावा किया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए “निर्देश” राजीव गांधी से आए थे, तो पित्रोदा ने आरोप से इनकार किया लेकिन कहा कि अब क्या है 84 का? आपने 5 साल में क्या किया, उसकी बात करेगी. 84 में हुआ तो हुआ. आपने क्या किया? बाद में पित्रोदा ने माफी मांगी और कांग्रेस ने स्पष्टीकरण जारी किया.

राम, हनुमान और मंदिर पर किया विवादित बयान

जून 2023 में पित्रोदा ने अमेरिका में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी की मौजूदगी में कहा था कि हमारे सामने बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य की समस्या है. इन चीजों के बारे में कोई बात नहीं करता. लेकिन हर कोई राम, हनुमान और मंदिर की बात करता है. मैंने कहा है कि मंदिर नौकरियां पैदा नहीं करने जा रहे हैं.  इस साल की शुरुआत में पित्रोदा ने पोस्ट को हटाने से पहले एक्स पर भाजपा के करीबी स्तंभकार सुधींद्र कुलकर्णी का एक लेख साझा किया था, जिसमें भारतीय संविधान के निर्माण का श्रेय बीआर अंबेडकर को नहीं बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया गया था. भाजपा ने तब कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उस पर अंबेडकर की विरासत को कमजोर करने का आरोप लगाया था.