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26/11 हमले में अजमल कसाब से भिड़ने वाले IPS सदानंद दाते बने महाराष्ट्र के नए DGP

पूर्व एनआईए प्रमुख सदानंद दाते को महाराष्ट्र का नया पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया है. 26/11 हमलों में बहादुरी दिखाने वाले दाते दो साल के कार्यकाल के लिए डीजीपी की जिम्मेदारी संभालेंगे.

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Kanhaiya Kumar Jha

नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रीय जांच एजेंसी के महानिदेशक सदानंद दाते को राज्य का नया पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया है. यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब राज्य में कानून व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा को लेकर कई चुनौतियां सामने हैं. 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी दाते अपने साहस, अनुभव और आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए जाने जाते हैं. उनकी नियुक्ति को प्रशासनिक और रणनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है.

राज्य के गृह विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार सदानंद दाते को महाराष्ट्र का डीजीपी दो साल के निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया है. यह कार्यकाल उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख से स्वतंत्र होगा. दाते दिसंबर 2026 में 60 वर्ष के होंगे. वह 3 जनवरी को मौजूदा डीजीपी रश्मि शुक्ला के पद छोड़ने के बाद औपचारिक रूप से जिम्मेदारी संभालेंगे.

केंद्र से महाराष्ट्र वापसी

मार्च 2024 तक महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख रहे दाते को इसके बाद नई दिल्ली में एनआईए का महानिदेशक बनाया गया था. हाल ही में महाराष्ट्र सरकार के अनुरोध पर उन्हें केंद्र से राज्य कैडर में वापस भेजा गया. सरकार का मानना था कि राज्य पुलिस को उनके अनुभव और नेतृत्व की जरूरत है. दो हफ्ते पहले उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर दी गई थी.

यूपीएससी की सिफारिश

पिछले सप्ताह संघ लोक सेवा आयोग ने डीजीपी पद के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नामों की सिफारिश की थी. इनमें सदानंद दाते के अलावा संजय वर्मा और रितेश कुमार शामिल थे. राज्य सरकार ने दाते के नाम पर अंतिम मुहर लगाई. प्रशासनिक हलकों में इस चयन को सर्वसम्मत और मजबूत फैसला माना जा रहा है.

26/11 हमलों में अदम्य साहस

सदानंद दाते को 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के दौरान असाधारण बहादुरी के लिए जाना जाता है. उस समय वह मध्य मुंबई क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त थे. उन्होंने कमा अस्पताल में आतंकियों अजमल कसाब और अबू इस्माइल का सामना किया और बंधक बनाए गए लिफ्ट ऑपरेटर चंद्रकांत टिक्के को बचाया.

राष्ट्रपति पदक से सम्मानित

आतंकियों के साथ मुठभेड़ में दाते गंभीर रूप से घायल हुए थे और ग्रेनेड हमले के कारण कुछ समय के लिए बेहोश भी हो गए थे. इस कार्रवाई में उनकी टीम के दो जवान शहीद हुए. दाते को इस साहसिक अभियान के लिए राष्ट्रपति का वीरता पदक प्रदान किया गया. उनकी यह छवि आज भी महाराष्ट्र पुलिस के लिए प्रेरणा मानी जाती है.