'भारत में कोई अहिंदू नहीं, सबके पूर्वज...', आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के एक कार्यक्रम में दिया बयान

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में कोई अहिंदू नहीं है और सभी लोग एक ही पूर्वजों के वंशज हैं. उन्होंने कहा कि मुसलमान और ईसाई भी भारतीय संस्कृति के अनुयायी हैं.

@ANI x account
Km Jaya

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि भारत में कोई अहिंदू नहीं है और सभी लोग एक ही पूर्वजों के वंशज हैं. उन्होंने कहा कि मुसलमान और ईसाई भी भारतीय संस्कृति के ही अनुयायी हैं. भागवत ने यह बयान 'संघ की 100 वर्ष की यात्रा: 'नए क्षितिज' कार्यक्रम में दिया, जहां उन्होंने हिंदू समाज की एकता और भारत की सांस्कृतिक पहचान पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि भारत की जिम्मेदारी हिंदुओं की है और आरएसएस का उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना नहीं बल्कि राष्ट्र के गौरव के लिए हिंदू समाज को संगठित करना है. उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य समाज को एकजुट कर भारत माता की महिमा बढ़ाना है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत का राष्ट्रत्व अंग्रेजों की देन नहीं बल्कि प्राचीन सभ्यता की देन है और हमारी मूल संस्कृति हिंदू संस्कृति है.

भागवत ने अन्य धर्मों को लेकर क्या कहा?

भागवत ने धर्मों के बारे में बात करते हुए कहा कि वास्तव में भारत में कोई अहिंदू नहीं है. सभी मुसलमान और ईसाई एक ही पूर्वजों के वंशज हैं, केवल उन्हें इसे भूलने के लिए मजबूर किया गया है. उन्होंने कहा कि चाहे जानबूझकर या अनजाने में, हर कोई भारतीय संस्कृति का पालन करता है. इसलिए भारत में हर व्यक्ति हिंदू है, क्योंकि हिंदू होने का अर्थ भारत के प्रति जिम्मेदारी निभाना है.

संघ के बारे में उन्होंने क्या कहा?

उन्होंने कहा कि संघ हिंदू समाज का संगठन है और यही कारण है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है. यह संविधान के अनुरूप है, क्योंकि संघ किसी के खिलाफ नहीं बल्कि समाज को संगठित करने के लिए काम करता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ प्रतिक्रियावादी संगठन नहीं है. संघ संपूर्ण करने आया है, नष्ट करने नहीं.

हिंदू समाज को लेकर क्या कहा?

भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को संगठित होना जरूरी है, क्योंकि यही समाज अपनी एकता से दुनिया को जोड़ने की क्षमता रखता है. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र का प्रतीक है और इसकी उन्नति ही भारत की उन्नति है. उन्होंने स्वीकार किया कि संघ को अपनी स्थापना के बाद कई दशकों तक विरोध, प्रतिबंधों और हमलों का सामना करना पड़ा, लेकिन स्वयंसेवकों ने कभी हार नहीं मानी.

संघ प्रमुख ने भारत की पहचान के बारे में क्या बताया?

संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस अब समाज में विश्वसनीयता हासिल कर चुका है, लेकिन अभी संतुष्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत को अपनी पहचान याद करनी होगी और विविधता को बिगाड़े बिना एकता स्थापित करनी होगी. उन्होंने कहा कि संघ अब उन लोगों से संवाद कर रहा है जो खुद को हिंदू नहीं मानते.