Gaza Peace Summit: मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सिसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाजा शांति समझौते पर हस्ताक्षर समारोह में शामिल होने के लिए औपचारिक रूप से आमंत्रित किया है. यह शिखर सम्मेलन मिस्र के लोकप्रिय रिसॉर्ट शहर शर्म अल शेख में आयोजित होने जा रहा है, जहां दुनिया के लगभग 20 शीर्ष नेता मौजूद रहेंगे. इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य गाजा क्षेत्र में लंबे समय से चल रहे संघर्ष को समाप्त करना और स्थायी शांति की दिशा में ठोस कदम उठाना है.
शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी इसे और भी महत्वपूर्ण बना रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात वैश्विक कूटनीति के लिहाज से बेहद अहम हो सकती है. दोनों नेताओं के बीच मध्य पूर्व में स्थिरता और शांति स्थापित करने को लेकर रणनीतिक बातचीत संभव है.
गाजा क्षेत्र में पिछले कई महीनों से जारी हिंसा ने न केवल फिलिस्तीन और इजराइल के बीच तनाव को बढ़ाया है, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में अस्थिरता का माहौल पैदा कर दिया है. इसी को देखते हुए मिस्र ने पहल करते हुए यह शांति समझौता तैयार किया है, जिसमें विभिन्न देशों की मध्यस्थता से संघर्षविराम और राजनीतिक समाधान पर सहमति बनने की उम्मीद है.
भारत इस क्षेत्र में एक संतुलित भूमिका निभाता आया है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने फिलिस्तीन और इजराइल दोनों देशों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखे हैं. ऐसे में मोदी की इस सम्मेलन में भागीदारी भारत की वैश्विक छवि को और मजबूत कर सकती है. साथ ही यह दिखाता है कि भारत अब सिर्फ एशिया ही नहीं, बल्कि विश्व शांति और स्थिरता के प्रयासों में भी प्रमुख भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है.
शर्म अल शेख का यह सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी अहम है, क्योंकि यहां से निकलने वाले संदेश से मध्य पूर्व की कूटनीतिक दिशा तय होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस समझौते पर सहमति बन जाती है, तो यह पिछले एक दशक में सबसे बड़ी शांति पहल होगी. अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह बैठक गाजा में स्थायी समाधान का रास्ता खोल पाएगी और क्या प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की मुलाकात से कोई नया कूटनीतिक मोड़ सामने आएगा.