नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 20वें जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए 21 से 23 नवंबर 2025 तक दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग का दौरा करेंगे. दक्षिण अफ्रीका गणराज्य द्वारा आयोजित यह शिखर सम्मेलन लगातार चौथी बार वैश्विक दक्षिण में होने जा रहा है, जिससे विकासशील देशों की भूमिका और आवाज को और मजबूती मिलती है.
प्रधानमंत्री मोदी इस उच्च-स्तरीय बैठक में भारत की प्राथमिकताओं और दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से दुनिया के सामने रखेंगे. शिखर सम्मेलन में तीन मुख्य सत्र होंगे, जिनमें प्रधानमंत्री के सभी सत्रों में संबोधन देने की उम्मीद है.
पहले सत्र में समावेशी और सतत आर्थिक विकास पर चर्चा होगी. इसमें इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं कैसे ऐसी संरचना तैयार करें जिससे कोई भी देश या समुदाय पीछे न रह जाए. साथ ही व्यापार को बढ़ाने, विकास के लिए आवश्यक वित्तपोषण की व्यवस्था और कर्ज के बोझ को कम करने जैसे मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा.
दूसरे सत्र का विषय एक लचीला विश्व जी20 का योगदान होगा. इस दौरान आपदा जोखिम में कमी, जलवायु परिवर्तन के लगातार बढ़ते प्रभाव, न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन और वैश्विक खाद्य प्रणालियों को बेहतर बनाने पर चर्चा होने की संभावना है. यह सत्र वैश्विक संकटों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों को मजबूत करने पर केंद्रित रहेगा.
तीसरे सत्र में सभी के लिए एक न्यायपूर्ण भविष्य के विचार पर बात होगी. इसमें महत्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता और प्रबंधन, सभी के लिए सम्मानपूर्ण और सभ्य कार्य सुनिश्चित करना तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल होंगे.
शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी जोहान्सबर्ग में उपस्थित कई विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें भी करेंगे. इन बैठकों में आपसी सहयोग, व्यापारिक संबंध, तकनीकी साझेदारी और वैश्विक मुद्दों पर साझे दृष्टिकोण जैसे विषयों पर चर्चा हो सकती है.
इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में आयोजित आईबीएसए (भारत-ब्राज़ील-दक्षिण अफ्रीका) नेताओं की बैठक में भी हिस्सा लेंगे. यह त्रिपक्षीय मंच तीनों लोकतांत्रिक देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक सहयोग को और गहरा करने का अवसर प्रदान करता है.
प्रधानमंत्री का यह दौरा न सिर्फ भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की प्राथमिकताओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने का भी महत्वपूर्ण अवसर होगा.