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2021 से लेकर अब तक पीएम मोदी की विदेश यात्राओं पर कितने करोड़ हुए खर्च, MEA ने दी जानकारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेशी यात्राओं पर 2021 से अब तक सरकारी खजाने से ₹350 करोड़ से अधिक खर्च हो चुके हैं. यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने संसद में साझा की है. साल 2025 में अब तक पांच देशों की यात्रा पर ₹67 करोड़ खर्च हो चुके हैं, जबकि पिछले चार सालों की कुल राशि ₹295 करोड़ से अधिक रही.

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Edited By: Kuldeep Sharma
pm modi
Courtesy: web

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राएं हमेशा सुर्खियों में रही हैं. चाहे वह कूटनीतिक कारणों से हो, अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलनों में भागीदारी या प्रवासी भारतीयों से संवाद. अब इन दौरों पर खर्च की गई रकम को लेकर संसद में नया खुलासा हुआ है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने राज्यसभा में बताया कि 2021 से लेकर अब तक प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर ₹350 करोड़ से अधिक का खर्च आया है.

साल 2025 में प्रधानमंत्री ने अब तक फ्रांस, अमेरिका, थाईलैंड, श्रीलंका और सऊदी अरब की यात्राएं की हैं. इन पांच यात्राओं पर कुल ₹67 करोड़ खर्च हुए हैं. इनमें फ्रांस के दौरे पर सबसे अधिक ₹25.5 करोड़ और अमेरिका पर ₹16.5 करोड़ खर्च हुए. थाईलैंड (₹4.9 करोड़), श्रीलंका (₹4.4 करोड़) और सऊदी अरब (₹15.5 करोड़) के दौरे भी सूची में शामिल हैं. मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि 2025 में की गई अन्य 9 यात्राओं के खर्चों का विवरण अभी प्रक्रियाधीन है.

2021 से 2024 तक लगभग ₹295 करोड़ का खर्च

MEA की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में विदेशी यात्राओं पर ₹100 करोड़ से अधिक खर्च हुए, 2023 में ₹93 करोड़, 2022 में ₹55 करोड़ और 2021 में ₹36 करोड़ खर्च किए गए. अमेरिका प्रधानमंत्री की सबसे महंगी यात्रा रही है, जहां चार दौरों में ₹74.44 करोड़ खर्च हुए. इसके बाद फ्रांस (₹41.29 करोड़) और जापान (₹32.96 करोड़) के नाम हैं. इन दौरों में द्विपक्षीय बैठकें, शिखर सम्मेलन, प्रवासी भारतीयों से संवाद और राजकीय भोज शामिल रहे.

145 अधिकारियों का दल और प्रचार-प्रसार पर भी खर्च

प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं में उनके साथ जाने वाले अधिकारियों की संख्या भी उल्लेखनीय रही है. 2024 में 145 अधिकारी 16 देशों में साथ गए, जबकि 2023 में 85 अधिकारी, 2022 में 84 और 2021 में 41 अधिकारी विदेश गए थे. इसके अलावा, पीएम की विदेश यात्राओं में उनके सार्वजनिक कार्यक्रमों को दिखाने और प्रचार करने पर भी ₹1.03 करोड़ खर्च हुए. इनमें सबसे अधिक ₹11.90 लाख का खर्च मिस्र में हुआ, जबकि कई देशों में इस मद में शून्य खर्च दर्ज किया गया.

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