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India Daily

Veer Savarkar Birth Anniversary: वीर सावरकर की जयंती पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि, कहा- 'देश कभी नहीं भूलेगा उनका साहस और संघर्ष'

Veer Savarkar Birth Anniversary: हिंदू राष्ट्रवादियों के लिए एक नायक, उन्हें हिंदुत्व की राजनीतिक रूपरेखा विकसित करने का श्रेय दिया जाता है और वे एक बहुप्रसिद्ध लेखक और कवि थे जिन्होंने हिंदू राष्ट्रवाद की विचारधारा को मजबूत किया.

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Edited By: Anvi Shukla
Veer Savarkar birth anniversary
Courtesy: social media

Veer Savarkar Birth Anniversary: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को हिंदुत्व विचारक और स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने अपने 'X' पोस्ट में लिखा, 'वीर सावरकर जी को कोटि-कोटि नमन, मां भारती के सच्चे सपूत. विदेशी हुकूमत की कठोर यातनाएं भी उनके देशभक्ति के जज्बे को नहीं तोड़ सकीं.

उनका त्याग और समर्पण, विकसित भारत के निर्माण में प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा.' पीएम मोदी ने सावरकर के त्याग, साहस और राष्ट्र के प्रति समर्पण को भारत के भविष्य के लिए मार्गदर्शक बताया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी 'X' पोस्ट के माध्यम से वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी और कहा, 'स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी ने समाज को छुआछूत से मुक्त कर एकता के सूत्र में बांधने के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया. ब्रिटिश शासन की क्रूरतम यातनाएं भी उन्हें डिगा नहीं सकीं. उनके विचारों ने राष्ट्रीय चेतना को नया आयाम दिया.'

कौन थे वीर सावरकर?

विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है, का जन्म 28 मई 1883 को नासिक में हुआ था. वे एक स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, वकील और हिंदुत्व के वैचारिक शिल्पकार थे. उन्होंने 'हिंदुत्व' शब्द को परिभाषित कर भारतीय राष्ट्रवाद को नया दर्शन दिया.

सावरकर का ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में गहरा योगदान रहा. फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे में पढ़ाई के दौरान ही वे राष्ट्रीय आंदोलनों से जुड़ गए. बाद में, इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान 'इंडिया हाउस' और 'फ्री इंडिया सोसायटी' जैसे क्रांतिकारी संगठनों से जुड़े. उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘1857 का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ ब्रिटिश शासन द्वारा प्रतिबंधित कर दी गई थी.

आज के भारत के लिए प्रेरणा

वीर सावरकर न केवल क्रांतिकारी विचारक थे, बल्कि सामाजिक सुधारक भी थे. उन्होंने जातिवाद और छुआछूत जैसी कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई. भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उन्हें प्रेरणा स्रोत मानते हैं, जबकि कुछ विपक्षी दल उनके विचारों की आलोचना करते रहे हैं.