नई दिल्ली: संसद भवन परिसर में शनिवार सुबह माहौल गंभीर और श्रद्धा से भरा दिखाई दिया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. बीआर अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें नमन किया. बाबासाहेब की 70वीं पुण्यतिथि पर पीएम मोदी ने कहा कि उनका दूरदर्शी नेतृत्व और न्याय एवं समानता के प्रति प्रतिबद्धता भारत की यात्रा को निरंतर मार्ग दिखाती रहेगी. उन्होंने X पर संदेश साझा करते हुए उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया.
आज इस खास मौके पर जानते हैं अंबेडकर जी के उन कामों के बारे में जिससे राष्ट्र निर्माण में बड़ा सहयोग दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की 70वीं पुण्यतिथि पर नई दिल्ली स्थित संसद भवन में महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
Remembering Dr. Babasaheb Ambedkar on Mahaparinirvan Diwas. His visionary leadership and unwavering commitment to justice, equality and constitutionalism continue to guide our national journey. He inspired generations to uphold human dignity and strengthen democratic values.
May…— Narendra Modi (@narendramodi) December 6, 2025Also Read
X पर साझा की गई एक पोस्ट में, प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, 'महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को नमन. उनका दूरदर्शी नेतृत्व और न्याय, समानता एवं संविधानवाद के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता हमारी राष्ट्रीय यात्रा का मार्गदर्शन करती रहेगी. उन्होंने पीढ़ियों को मानवीय गरिमा को बनाए रखने और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया. उनके आदर्श हमें एक विकसित भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहें.'
भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा सामाजिक भेदभाव मिटाने और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित किया. उन्होंने दलितों और आदिवासी समुदायों के मंदिर प्रवेश, पानी के अधिकार और छुआछूत जैसी कुरीतियों के खिलाफ लगातार संघर्ष किया. मनुस्मृति दहन, महाड सत्याग्रह, नाशिक सत्याग्रह और येवला की गर्जना जैसे उनके आंदोलनों ने समाज में समानता की नींव रखी. साथ ही उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से कमजोर वर्गों को शिक्षित और जागरूक करने का बड़ा अभियान भी चलाया.
डॉ. अंबेडकर ने कमजोर वर्गों के छात्रों में शिक्षा का प्रकाश फैलाने के लिए छात्रावास, नाइट स्कूल और ग्रंथालयों की स्थापना की. उन्होंने न सिर्फ शिक्षा के अवसर बढ़ाए, बल्कि छात्रों को आय अर्जित करते हुए पढ़ाई पूरी करने के लिए सक्षम भी बनाया. उनकी स्थापित पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी ने मुंबई में सिद्धार्थ महाविद्यालय और औरंगाबाद में मिलिंद महाविद्यालय जैसी संस्थाएँ खड़ी कीं. साथ ही उन्होंने महिलाओं के लिए तलाक, संपत्ति अधिकार और विरासत जैसे प्रावधानों हेतु हिंदू विधेयक संहिता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
डॉ. अंबेडकर की आर्थिक सोच भारत के विकास की आधारशिला मानी जाती है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना उनकी महत्वपूर्ण कृतियों और हिल्टन यंग आयोग के समक्ष उनके विचारों पर आधारित थी. उनके शोध ने वित्त आयोग के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया. उन्होंने देश के औद्योगिकरण और जलनीति के विकास के लिए हीराकुंड बांध, दामोदर घाटी परियोजना, सोन नदी घाटी योजना और केंद्रीय जल एवं विद्युत प्राधिकरण जैसी महत्त्वपूर्ण योजनाओं की रूपरेखा तैयार की, जिनका प्रभाव आज भी राष्ट्रीय विकास में देखा जाता है.
डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने और 17 दिन का कठिन परिश्रम किया और समता, समानता, बंधुता तथा मानवता पर आधारित ढांचा तैयार किया. उन्होंने हिंदू संहिता विधेयक के माध्यम से महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ी और उसके पारित न होने पर कानून मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया. निर्वाचन आयोग, वित्त आयोग, नीति निदेशक तत्व, मौलिक अधिकार, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय संबंधी नीतियों में उनका योगदान आज भी भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ माना जाता है. उन्होंने विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में वंचित समुदायों की सहभागिता सुनिश्चित की.