India Nuclear Power: 11 मई 1998 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है. इसी दिन राजस्थान के पोखरण में भारत ने पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था. इन परीक्षणों को 'ऑपरेशन शक्ति' नाम दिया गया था और दोपहर 3:45 बजे पहला धमाका हुआ, जिसमें एक थर्मोन्यूक्लियर (हाइड्रोजन बम), एक विखंडन बम और एक सब-किलोटन डिवाइस का परीक्षण किया गया. इसके दो दिन बाद, 13 मई को दो और सब-किलोटन डिवाइस का परीक्षण हुआ.
गुप्त योजना और अमेरिकी सैटेलाइट्स से बचाव
बता दें कि इन परीक्षणों की खास बात ये रही कि इन्हें बेहद गोपनीयता से अंजाम दिया गया. अमेरिका की नजरों से बचाने के लिए वैज्ञानिकों और सेना को डेढ़ साल पहले से विशेष प्रशिक्षण और योजना बनाने को कहा गया. परीक्षणों में शामिल हर व्यक्ति ने गोपनीयता की शपथ ली थी. पूरी प्रक्रिया इतनी चुपचाप हुई कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और अमेरिकी सैटेलाइट्स को इसकी भनक तक नहीं लगी.
भारत बना छठा परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र
इस सफलता के साथ भारत अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के बाद छठा ऐसा देश बना जिसने सार्वजनिक रूप से अपनी परमाणु शक्ति का प्रदर्शन किया. भले ही अमेरिका, जापान और यूरोपीय देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हों, लेकिन देश में इसे तकनीकी आत्मनिर्भरता और सैन्य ताकत के प्रतीक के रूप में देखा गया.
भारत-अमेरिका संबंधों में आई मजबूती
हालांकि शुरुआती वैश्विक आलोचनाओं के बाद, यही परीक्षण भारत और अमेरिका के बीच 2005 में हुए ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते का आधार बने. इन परीक्षणों ने भारत की वैश्विक छवि को नया आयाम दिया और देश को रणनीतिक रूप से और अधिक सशक्त किया.
आईबीएम के डीप ब्लू ने शतरंज में रचा इतिहास
बताते चले कि इसी दिन 1997 में आईबीएम के सुपरकंप्यूटर डीप ब्लू ने शतरंज के विश्व चैंपियन गैरी कास्पारोव को हरा दिया था. यह पहली बार था जब किसी मौजूदा चैंपियन को कंप्यूटर ने मानक टूर्नामेंट के तहत मात दी हो. कास्पारोव ने अंतिम गेम में हार मान ली और बाद में दावा किया कि 'कुछ चालें मशीन के लिए बहुत क्रिएटिव थीं.' हालांकि, आईबीएम ने आरोपों को खारिज किया.
एआई की दुनिया में मील का पत्थर
वहीं, डीप ब्लू की यह जीत सिर्फ शतरंज की नहीं थी, बल्कि इसने इंसानी बुद्धि और मशीन की ताकत के रिश्ते को नया आयाम दिया. इस घटना ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास की रफ्तार को तेज कर दिया और भविष्य की तकनीकी क्रांति की नींव रखी.