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India Daily

'हिंदू होने के कारण... ', बाबरी मस्जिद की नींव रखने वाले हुमायूं कबीर की पार्टी में विवाद, रील्स बनाने पर निशा चटर्जी की उम्मीदवारी रद्द

मुर्शिदाबाद जिले की भरतपुर विधानसभा सीट से विधायक हुमायूं कबीर ने अपनी नई पार्टी 'जनता उन्नयन पार्टी' (जेयूपी) का ऐलान किया है. नई पार्टी बनाने के महज 12 घंटे बाद ही बड़ा विवाद सामने आया है.

Anuj
Edited By: Anuj
Nisha Chatterjee's candidacy canceled

कोलकाता: मुर्शिदाबाद जिले की भरतपुर विधानसभा सीट से विधायक हुमायूं कबीर ने अपनी नई पार्टी 'जनता उन्नयन पार्टी' (जेयूपी) का ऐलान किया है. नई पार्टी बनाने के महज 12 घंटे बाद ही बड़ा विवाद सामने आया है. बेलडांगा में आयोजित कार्यक्रम में हुमायूं ने 10 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी. इन नामों में बालीगंज विधानसभा सीट से निशा चटर्जी का नाम भी शामिल था. हालांकि, कुछ ही समय बाद हुमायूं कबीर ने निशा की उम्मीदवारी रद्द कर दी.

निशा चटर्जी की उम्मीदवारी क्यों रद्द हुई?

हुमायूं कबीर ने बताया कि उनके इस फैसले का कारण इंटरनेट मीडिया पर सामने आए निशा चटर्जी के कुछ वीडियो और फोटो हैं. उन्होंने कहा कि इन वीडियो और फोटो में निशा का पहनावा और हाव-भाव ‘अमर्यादित’ नजर आता है. हुमायूं ने स्पष्ट किया कि विधानसभा जैसे पवित्र स्थान के लिए ऐसे व्यक्तित्व वाले उम्मीदवार उपयुक्त नहीं हैं. अब पार्टी अगले 7 दिनों में बालीगंज सीट से किसी मुस्लिम उम्मीदवार की घोषणा करेगी.

निशा चटर्जी की प्रतिक्रिया

इस फैसले पर निशा चटर्जी ने कड़ा विरोध जताया है. उन्होंने इसे हुमायूं कबीर का जल्दबाजी में लिया गया और दूरदर्शिता की कमी वाला निर्णय बताया. निशा ने कहा कि उन्होंने स्वयं उम्मीदवारी के लिए कोई आवेदन नहीं किया था. उनका कहना है कि पारिवारिक मित्र होने के कारण ही हुमायूं ने उन्हें राजनीति में शामिल होने का न्योता दिया था.

निशा चटर्जी ने लगाया गंभीर आरोप

निशा ने हुमायूं के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके इंटरनेट मीडिया वीडियो केवल बहाना हैं और असली कारण यह है कि उन्हें हिंदू होने के कारण सूची से बाहर किया गया. निशा ने कहा कि यदि यह वास्तव में एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी होती, तो उनके साथ ऐसा भेदभाव नहीं किया जाता.

बालीगंज सीट का राजनीतिक महत्व

बालीगंज विधानसभा सीट का राजनीतिक महत्व भी इस विवाद से जुड़ा है. यह क्षेत्र अल्पसंख्यक बहुल है. पिछले उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के बाबुल सुप्रियो ने जीत हासिल की थी, लेकिन अंतर बहुत कम था. माकपा की सायरा शाह हलीम दूसरे स्थान पर रही थीं. इस विवाद के बाद बालीगंज की राजनीतिक स्थिति और भी चर्चा का विषय बन गई है.