भारतीय जनता पार्टी की नेता और पूर्व सांसद नवनीत राणा के हालिया बयान ने सामाजिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर बहस छेड़ दी है. उन्होंने हिंदू समुदाय से जनसंख्या को लेकर आत्ममंथन करने की अपील करते हुए परिवार नियोजन पर नए सिरे से सोचने को कहा.
इसके साथ ही राणा ने महाराष्ट्र की राजनीति, विपक्षी गठबंधनों की मजबूती और सत्तारूढ़ महायुति के भविष्य को लेकर भी अपनी स्पष्ट राय रखी, जो आने वाले चुनावों से पहले अहम मानी जा रही है.
नवनीत राणा ने कहा कि देश के सामाजिक संतुलन को बनाए रखने के लिए हिंदू परिवारों को एक बच्चे तक सीमित रहने की सोच पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि तीन या चार बच्चों का परिवार भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए अधिक संतुलित हो सकता है. राणा का कहना था कि कुछ वर्ग सुनियोजित तरीके से जनसंख्या बढ़ा रहे हैं, जिससे सामाजिक ताने-बाने पर असर पड़ सकता है.
राणा ने जोर देते हुए कहा कि जनसंख्या केवल संख्या का विषय नहीं, बल्कि संस्कृति और पहचान से भी जुड़ा है. उन्होंने कहा कि यदि किसी समाज की जनसंख्या असंतुलित होती है, तो उसका सीधा प्रभाव उसकी सामाजिक भूमिका और राजनीतिक हिस्सेदारी पर पड़ता है. उनके अनुसार, हिंदू समाज को इस पहलू को गंभीरता से समझने की जरूरत है.
महाराष्ट्र की राजनीति पर बोलते हुए नवनीत राणा ने शिवसेना (उद्धव गुट) के नेतृत्व को कमजोर बताया. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे अब पहले जैसी पकड़ नहीं बना पा रहे हैं. राणा का मानना है कि शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठबंधन आगामी चुनावों में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाएगा.
नवनीत राणा ने सत्तारूढ़ भाजपा-नेतृत्व वाली महायुति पर पूरा भरोसा जताया. उन्होंने दावा किया कि आने वाले बृहन्मुंबई नगर निगम चुनावों में महायुति मजबूत स्थिति में होगी और नगर निगम पर नियंत्रण हासिल करेगी. हाल के स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति की जीत को उन्होंने जनसमर्थन का संकेत बताया.
राणा ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विभाजन पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि शरद पवार एक अनुभवी नेता हैं और अजित पवार उनके परिवार का हिस्सा हैं. यदि दोनों धड़े फिर से साथ आते हैं तो यह सकारात्मक होगा. उन्होंने हालिया नगर परिषद चुनावों के नतीजों का हवाला देते हुए कहा कि जनता ने स्थिरता और विकास के पक्ष में मतदान किया है.