तेलंगाना में माओवादी हिंसा के खिलाफ सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है. राज्य में सक्रिय प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) संगठन के 41 भूमिगत कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण कर दिया.
इनमें संगठन के छह वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल हैं. हैदराबाद में पुलिस महानिदेशक बी. शिवधर रेड्डी की मौजूदगी में हुए इस आत्मसमर्पण को वर्ष 2025 की सबसे अहम घटनाओं में से एक माना जा रहा है.
19 दिसंबर 2025 को हैदराबाद में 41 माओवादी कैडरों ने तेलंगाना पुलिस के समक्ष हथियार डाल दिए. आत्मसमर्पण करने वालों में कंपनी प्लाटून कमेटी मेंबर और डिविजनल कमेटी मेंबर स्तर के छह वरिष्ठ कैडर शामिल हैं. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह इस साल राज्य में हुआ सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण है, जिसने माओवादी संगठन को रणनीतिक रूप से कमजोर कर दिया है.
आत्मसमर्पण के दौरान कैडरों ने कुल 24 हथियार और बड़ी संख्या में गोला-बारूद सौंपा. इनमें एक इंसास लाइट मशीन गन, तीन एके-47 राइफल, पांच एसएलआर, सात इंसास राइफल, एक बीजीएल गन, चार .303 राइफल, एक सिंगल शॉट राइफल और दो एयरगन शामिल हैं. इसके साथ 733 जिंदा कारतूस और आठ बीजीएल शेल भी जमा किए गए.
आत्मसमर्पण करने वालों में मडकम मंगा उर्फ मंगल, पीएलजीए बटालियन कमांडर, एर्रागोला रवि उर्फ संतोष, और कोमाराम भीम-आसिफाबाद-मनचेरियल डिविजनल कमेटी से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हैं. इसके अलावा कोरसा लाचू उर्फ प्रशांत और योगेश, सेंट्रल रीजनल कमांड की कंपनी के कमांडर भी आत्मसमर्पण करने वालों में थे.
पुलिस महानिदेशक शिवधर रेड्डी के अनुसार, सभी कैडरों ने औपचारिक रूप से हिंसा का रास्ता छोड़ने की घोषणा की है. आत्मसमर्पण के पीछे लगातार सुरक्षा बलों का दबाव, संगठन के भीतर मतभेद, वैचारिक मोहभंग, कठिन जीवन परिस्थितियां और परिवार से लंबे समय तक दूरी जैसे कारण सामने आए हैं. मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की अपील ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई.
राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों को उनके पद के अनुसार आर्थिक सहायता मिलेगी. पुलिस के मुताबिक, इस समूह को कुल 1.46 करोड़ रुपये की सहायता के लिए पात्र माना गया है. फिलहाल प्रत्येक को 25 हजार रुपये की अंतरिम सहायता दी गई है. वर्ष 2025 में अब तक 509 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जो संगठन के कमजोर पड़ने का संकेत है.