मालेगांव बम धमाके के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने एक ऐसा दावा किया है, जिस पर हंगामा खड़ा हो गया है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा है कि बम ब्लास्ट केस की जांच कर रहे अधिकारियों ने उन्हें योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए मजबूर किया. उन्होंने दावा किया कि तत्कालीन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद परवार ने पहली बार हिंदू आतंकवाद का जिक्र किया था, जिसके बाद अधिकारियों ने योगी को फंसाने की साजिश रची.
पुरोहित ने दावा किया कि ATS ने उनसे असंवैधानिक तरीकेसे पूछताछ की और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए मजबूर किया. उस वक्त योगी आदित्यनाथ गोरखपुर संसदीय सीट से सांसद थे.
'गिरफ्तारी की लेकिन नहीं दिखाई गिरफ्तारी'
पुरोहित ने दावा किया कि उन्हें 29 अक्टूबर 2008 को ATS ने गिरफ्तार किया, लेकिन उनकी गिरफ्तारी दिखाई ही नहीं. उन्होंने दावा किया कि जब उन्हें मुंबई से गिरफ्तार किया गया तब उन्हें खंडाला के एक बंगले में रखा गया था, जहां एटीएस चीफ हेमंत करकरे थे. परम बीर सिंह भी वहीं थे और उनसे सवाल कर रहे थे.
'साथी ने घोंपा पीठ में छूरा'
पुरोहित ने कहा, 'करकरे और परम बीर सिंह उस वक्त थे और मुझसे सिमी, ISI और डॉक्टर जाइक सके मामले में सवाल जवाब कर रहे थे. वे मेरे इंटेलिजेंस नेटवर्क को जानने की कोशिश कर रहे थे.' पुरोहित ने कहा कि उसके एक सीनियर कर्नल पीके श्रीवास्तव ने पीठ में छूरा घोंपा था, उसी ने पुरोहित को एटीएस को सौंप दिया था.
'जानवरों से भी हुआ बुरा सलूक'
कोर्ट में पुरोहित ने कहा, 'मेरे साथ जानवरों से भी बुरा सलूक हो रहा था. मेरी हालत ऐसी थी जैसी किसी युद्ध बंदी की भी नहीं होगी. करकरे, परमबीर सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीवास्तव मुझ पर दबाव डाल रहे थे मैं दक्षिणपंथी नेताओं का नाम लूं, योगी आदित्यनाथ का नाम लूं. यह टॉर्चर 3 नंवबर 2008 तक चला.' पुरोहित ने कहा कि उन पर हुए अत्याचारों की वजह से उनका घुटना टूट गया और अब वे चल नहीं सकते. उन्होंने कहा कि कस्टडी में मुझे एटीएस ने मार डालने का प्लान बनाया था.
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