Maharashtra Maratha Reservation: महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में मराठा समुदाय को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक पारित किया, लेकिन इस विधेयक के पारित होने के बाद कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि यह कदम हमें स्वीकार्य नहीं है.
महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा विधेयक, 2024 पारित किया, जिसका उद्देश्य शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देना है. विधानसभा में पारित होने के बाद महाराष्ट्र विधान परिषद ने भी इसे मंजूरी दे दी है. महाराष्ट्र के राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह बिल कानून बन जाएगा.
मराठा कोटा बिल पारित होने के बाद मीडिया से बात करते हुए मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि यह हमें स्वीकार्य नहीं है. हम मांग कर रहे हैं कि हमें ओबीसी कैटेगरी में कोटा दिया जाए, लेकिन सरकार ने हमें अलग से आरक्षण दिया है जो 50 प्रतिशत की सीमा को पार कर गया है. यह कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा.
जरांगे ने कहा कि सरकारी कदम का उद्देश्य 100-150 लोगों को लाभ पहुंचाना है, लेकिन मराठा समुदाय के करोड़ों सदस्यों के लिए इसका कोई फायदा नहीं होगा. हम आरक्षण चाहते हैं जो सही मायने में हमारा है. हम कल समुदाय के सदस्यों से बात करने के बाद भविष्य के आंदोलन के बारे में फैसला करेंगे. जरांगे ने कहा कि उन्होंने पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कदम का स्वागत किया था जब वह 26 जनवरी को मुंबई के लिए रवाना हुए थे.
उन्होंने कहा कि हमने मुट्ठी भर मराठों के लिए आरक्षण का स्वागत किया, लेकिन करोड़ों मराठा एक अलग ओबीसी कैटेगरी में आरक्षण चाहते हैं. मैं मांग कर रहा हूं कि जिन मराठों के कुनबी रिकॉर्ड नहीं मिले हैं, उन्हें साधू-सोयारे (एक परिवार के रिश्तेदार) से संबंधित गजट अधिसूचना को कानून में परिवर्तित करके आरक्षण दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम अपना आंदोलन फिर से शुरू करेंगे. हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हमें आरक्षण नहीं मिल जाता.